कहने को तो प्रधानमंत्री की काशी यात्रा पिछले सप्ताह विश्वनाथ मंदिर के नए ‘कारिडोर’ के उद्घाटन के लिए थी। लेकिन अगर आपने, मेरी तरह, दिन भर टीवी के सामने बैठ कर इस यात्रा का पल-पल देखा होगा, तो शायद आप भी जान गए होंगे कि उद्घाटन के अलावा बहुत कुछ हो रहा था उस दिन। उस दिन के आखिरी क्षणों में जब प्रधानमंत्री और योगी आदित्यनाथ दिखे बनारस के रेलवे स्टेशन पर टहलते हुए, भक्त मंडली ने सोशल मीडिया पर शोर मचाना शुरू किया कि इतने कमाल के हैं हमारे नेता कि दिन भर काम करने के बाद वे रात के डेढ़ बजे भी देश का काम कर रहे थे। इनकी बातों से स्पष्ट हुआ कि इस काशी यात्रा का असली मकसद था उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के आरंभ होने का शंख बजाना।

ऐसा कहने के बाद यह भी कहना जरूरी समझती हूं कि मेरे लिए यह भी स्पष्ट हुआ है कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रयास करने वाली है उत्तर प्रदेश के हिंदू मतदाताओं का वोट हासिल करने का। संदेश यही है : योगी सरकार की गलतियां भुला कर बटन दबाते समय यही याद रखना है कि हिंदू धर्म के लिए ‘डबल इंजन सरकार’ ने क्या कुछ किया है। अयोध्या में ‘भव्य’ राम मंदिर का निर्माण तेजी से होने लगा है और अब विश्वनाथ मंदिर का परिसार भी भव्य हो गया है, इसलिए कि दोनों ‘डबल इंजन’ हिंदू धर्म के रखवाले हैं।

सो, भूल जाओ यूपी वालों कि कुछ ही महीने पहले गंगाजी में लाशें बह रही थीं। भूल जाओ कि शमशानों में दिन-रात चिताएं जल रही थीं। भूल जाओ कि अस्पतालों में न बिस्तर थे, न दवाइयां, न आक्सीजन। भूल जाओ हाथरस और लखीमपुर खीरी जैसी दर्दनाक घटनाएं, जिनमें साफ दिखा योगी सरकार का असली चरित्र। याद रखो केवल यह कि उनको दुबारा जिताना है, क्योंकि आप हिंदू हैं और अब आपके राज्य में हिंदू राष्ट्र स्थापित हो गया है।

ऐसा राज जहां आपके प्रधान ‘सेवक’ और आपके ‘कर्मयोगी’ मुख्यमंत्री आपकी आस्था को सुरक्षित रखने के लिए बना रहे हैं इतने भव्य और विशाल मंदिर कि पर्यटक आएंगे दबादब उन तीर्थ नगरों में। हिंदू तो आएंगे, लेकिन मुसलमान और ईसाई भी आएंगे, क्योंकि अयोध्या और काशी का इतना प्रचार हुआ है देश-विदेश में कि ताजमहल से ज्यादा प्रसिद्ध हो गए हैं शायद यहां के मंदिर।

रही मुसलिम मतदाताओं की बात, तो इनकी परवाह भारतीय जनता पार्टी ने पिछले आम चुनावों के बाद करना छोड़ दिया है, क्योंकि इस चुनाव के नतीजों का विश्लेषण करने पर साबित हुआ कि पूर्ण बहुमत मिल सकता है बिना मुसलिम मतदाताओं के। यह बात मुझे अरुण जेटली ने समझाई थी उस आम चुनाव के परिणाम आने के कुछ दिन बाद और यह भी कहा था कि अब आधे से ज्यादा मतदाता मध्यवर्ग में शामिल हो गए हैं।

इस वर्ग में अक्सर ऐसे लोग मिलेंगे, जिनको रोटी-कपड़ा-मकान की चिंता कम है और धर्म-मजहब की ज्यादा। मोदी के आने के बाद उनकी धार्मिक आस्था ऐसे मिश्रित हो गई है देशभक्ति में कि अब इन दोनों चीजों को अलग करना तकरीबन नामुमकिन है। ऐसा होने से खतरा तो है देश को, लेकिन भारतीय जनता पार्टी फिलहाल ध्यान पूरा दे रही सिर्फ उत्तर प्रदेश के चुनाव जीतने पर।

प्रधानमंत्री की काशी यात्रा के पल-पल अगर आप गौर से देखेंगे तो दिखेगा कि उन्होंने अपने आप को हिंदुओं का राजा साबित करने के लिए मुसलमानों को निशाना बना डालने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। गंगाजी में डुबकी लगाने के बाद पूजा की काल भैरव और विश्वनाथ मंदिर में और जाहिर है कि टीवी कैमरा उनकी पूजा के समय मौजूद थे, इसलिए देश के हिंदू शामिल हुए उस पूजा में।

फिर जब कारिडोर के उद्घाटन का समय आया तो सोच-समझ कर अपने भाषण में औरंगजेब को घसीटा प्रधानमंत्री ने, यह जानते हुए कि आम, अर्धशिक्षित हिंदू, मुसलमानों को दंडित करना चाहता है औरंगजेब की बर्बरता के लिए। यह भावना नई नहीं है, लेकिन मोदी के दौर में इसको चार चांद लग गए हैं।

मोदी भक्तों के ट्वीट पढ़िएगा तो फौरन मालूम पड़ेगा कि मुसलमानों को ये लोग पाकिस्तानी मानते हैं, भारतीय नहीं। भूल जाते हैं कि जो मुसलमान नहीं गए थे पाकिस्तान 1947 में, उन्होंने सोच-समझ कर फैसला लिया था हिंदुस्तान में रहने का। माना कि कुछ गुरबत की वजह से न जा सके, लेकिन ये लोग नहीं हैं जो जिहादी बन जाने की होड़ में लगे हैं। अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि जिहादियों की जमात में अक्सर शिक्षित मुसलिम मिलते हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जो लोग जुड़े रहे हैं, नरेंद्र मोदी की तरह, उनके दिलों में बीज बोए जाते हैं बचपन में ही कि इस देश का एक ही दुश्मन है और वह है मुसलमान, क्योंकि इन्होंने देश को तोड़ा था इस्लाम के नाम पर। वर्तमान सच यह है कि देश को खतरा अगर किसी दूसरे देश से है, तो उस देश का नाम है चीन। पर, भारत में कहीं भी न चीनियों पर हमला हुआ और न किसी ने चीनी खाने का विरोध किया है।

पाकिस्तान की बात और है। इस इस्लामी देश से मोदी के आने के बाद नफरत इतनी फैल गई है देश में कि गुजरात में पिछले हफ्ते जब किसी ने पाकिस्तानी खाने का जश्न मनाने की कोशिश की, तो पहुंच गए बजरंग दल के वीर जवान उसको रोकने। पाकिस्तान शब्द अपने आप में गाली बन चुका है और इस देश के निर्माण का दोष थोप दिया गया है भारतीय मुसलमानों पर। स्पष्ट है कि इस नफरत को काम में लाने वाली है भाजपा उत्तर प्रदेश के आने वाले चुनावों में।