एक ‘तोते’ से छूटने वाले थे कि उनको दूसरे ‘तोते’ ने धर लिया। एक बोला कि दूसरे ‘तोते’ से छूटेंगे, तो पहला ‘तोता’ धर लेगा। एक निंदक कहिन कि यह बदले की कार्रवाई है… अडाणी के पीछे भी ‘तोता’ लगाओ…। फिर एक ‘तोता’ एक नेत्री जी से नौ घंटे तक पूछताछ करता रहा। नेत्री जी कहती रहीं कि यह बदले की कार्रवाई है…। फिर एक दिवस सीपीएम के एकमात्र सीएम जी ने शी जिनपिंग को तीसरी बार चीन का मुखिया चुने जाने पर बधाई दी, तो भाजपा बोली कि यह तो पहले से ही चीन समर्थक रहे हैं…लेकिन सबसे अधिक टीवी का वक्त लेने वाले रहे अपने भैया जी ही! वे रोज लंदन से एक से एक ‘बाइट’ मारते और सत्ता पक्ष रोज यहां हाय हाय करता दिखता।

भैया जी भी गजब की ‘फार्म’ में कि चुन-चुन मारें चोट कि ‘इंडिया’ में ‘डेमोक्रेसी’ का लोप हो रहा है और आप अनजान बने हैं… कल को अगर वह सचमुच को लुप्त हो गई तो क्या होगा? यानी, हे प्रभु बचाओ बचाओ, त्राहिमाम त्राहिमाम…। फिर कहे कि चीन बड़ा प्यारा, मैं तो गया मारा… तो सत्तापक्ष करे शोर कि चीन से क्या ‘डील’ है? भैया जी फिर कह दिए कि भारत के विश्वविद्यालयों में बोल नहीं सकता… संसद में माइक बंद कर दिया जाता है… तो सत्ता पक्ष गरजा कि विदेश में देश का अपमान करते हैं… देश की जनता का अपमान करते हैं… जनता माफ नहीं करने वाली…
और, अपनी संसद भी बेचारी क्या करे?

सांसद जो करें सो होय, इसलिए कभी संसद जारी, कभी संसद ठप। संसद में शोर। संसद में हंगामा। अध्यक्ष जी परेशान कि करें कार्रवाई स्थगित स्थगित, कि दो बजे तक के लिए कि कल तक के लिए स्थगित स्थगित! मगर पांचों दिन दिखे एक ही जैसे दृश्य कि विपक्ष करे विरोध तो सत्ता पक्ष करे आलोचना! संसद में बाधा डाले विपक्ष तो सत्ता पक्ष कहे धिक्कार! फिर एक दिन विपक्ष के दो सौ सांसद बाहर! फिर रोज रोज बाहर। हाथों में पोस्टर ‘जेपीसी जेपीसी’, जुबां पर नारे कि अडाणी से रिश्ता क्या? कि जेपीसी बिठाओ जांच कराओ…। पांचों दिन सत्ता पक्ष का प्रत्याक्रमण जारी कि विदेश में देश का अपमान करने वाले मांगें माफी, मांगें माफी’!

इधर ‘अपमान’ और उधर ‘अडाणी’! इधर माफी की मांग औेर उधर अडाणी की जांच की मांग और फिर संसद में सत्ता पक्ष की नारेबाजी कि भैया जी मांगें माफी! अब तक शोर पर विपक्ष का एकाधिकार नजर आता था, अब सत्ता पक्ष भी दिखाने लगा अपना जोर और लगाने लगा नारे कि विदेश में देश का अपमान करने वाले माफी मांगें, माफी मांगें लेकिन जवाब आया यही कि माफी नहीं मांगेंगे माफी नहीं मांगेंगे! इसी हाय-हाय में बीते पांच दिन और चैनलों की बहसें हमारा ज्ञानवधर्न करती रहीं कि कब-कब उनने बाहर जाकर ‘भारत निंदा’ की, कि कब-कब इनने बाहर जाकर ‘भारत निंदा’ की!
सच! भैया जी ने सारी बहसें अपनी ओर मोड़ लीं हैं या कि सत्तापक्ष ने जानबूझ कर मुड़ने दी हैं और वह भी इसलिए कि भैया जी को जितना कोसेंगे उतना ही वे ‘हीरो’ बनेंगे और बाकी विपक्षी नेता मन ही मन जलेंगे और एकजुट न हो पाएंगे…।

बहसों से जाहिर है कि सत्तापक्ष के प्रवक्ता अब तक पुराने तीरों से ही काम चलाते दिखते हैं कि हाय हाय ये क्या कह दिया या कि देश का अपमान किया! वे शायद नहीं जानते कि यह ‘अपमान करने का हक’ का दौर है प्यारे! फिर एक खबर कि सीबीआइ-ईडी के दुरुपयोग के खिलाफ चौदह दलों का यूनाइटेड फ्रंट जिंदाबाद हुआ, फिर एक दिन सोलह दल एक साथ बताए जाने लगे, फिर एक दिन बीस दल एक साथ बताए जाते दिखे! लेकिन तुरंत ही एक चैनल पर एक चर्चक बखिया उधेड़ता दिखा कि वे, वे और वे तो आए ही नहीं, तब काहे का एका और काहे का फ्रंट! सप्ताह में तीन खबरों के क्षेपक समक्ष होकर किनारे हुए: एक दिन बीबीसी की आजादी परस्ती की पोल भी खुली। प्रख्यात प्रस्तोता लिनेकर को निलंबित करने की खबर सब चैनलों पर रही!

फिर एक दिन फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू नाटू’ और वृत्तचित्र ‘द ऐलीफेंट विस्परर्स’ को मिले दो दो ‘आस्करों’ ने सभी सांसदों को कुछ देर के लिए प्रसन्नचित्त किया, लेकिन फिर एक ने फंसट डाल दी कि यह तो दक्षिण की फिल्मों की ताकत है… इसके जवाब में तुरंत बहुत से सांसदों की देशभक्ति जागी और वे कहे कि फिल्म में भी उत्तर दक्षिण करते हो… धिक्कार है। कला में उत्तर दक्षिण नहीं होता, कि यह भारत का सम्मान है… नाटू नाटू नाटू नाटू नाचो नाचो नाचो नाचो!

फिर एक दिन यूपी के हर जिले, तहसील में ‘श्रीरामचरितमानस’ के अखंड पाठ और नवरात्रों पर ‘दुर्गासप्तशती’ के पाठ के आयोजन के लिए सरकार द्वारा एक लाख रुपए देने की खबर पर यूपी में विपक्ष के नेता ने कटाक्ष किया कि एक लाख क्यों, एक करोड़ रुपए क्यों नहीं? एक मानस निंदक ने फरमाया कि चूंकि लोग मानस पढ़ना भूल गए हैं, इसलिए सरकार पैसा खर्च कर पढ़ाना चाहती है।

इस बीच एक मौलाना जी की ‘मुसलिम राष्ट्र’ की मांग की धमकी भी कोई हंगामाखेज खबर न बनी, सिर्फ एक चैनल पर एक चर्चक ने सोदाहरण व्यंग्य में कहा कि हम हिंदू राष्ट्र हैं ही कहां? कि गुरुवार को देश लौट कर भैया जी ने प्रेस वार्ता की कि मैंने कुछ गलत नहीं बोला, चार मंत्रियों ने मुझ पर आरोप लगाए हैं, जवाब देने का हक तो बनता है… मैं संसद जाऊंगा, वे बोलने देंगे तो जवाब दूंगा…।इस तरह जारी है ‘भारत निंदा जिंदाबाद’ या कि ‘भारत जिंदा निंदाबाद’!