जो दूसरों को जेल भेज रहा था, अब खुद जेल जाने से डर रहा है… कितना सच! बताइए तो, एक नौनिहाल ने न नशा किया, न उससे कुछ बरामद हुआ, फिर भी उस अफसर ने उस मासूम को जेल में डलवाया! भला हो ‘सत्य’ का और नामी वकीलों की टीम का, कि अपनी जिरह से मासूम बालक को ‘बेल’ दिलवा दी! सत्य की विजय हुई! अफसर के असत्य की हार हुई!

सत्य के कहानीकार ने इस अफसर की सारी ठसक निकाल दी! जिस तरह से उसने टीवी पर आकर अफसर को रोज कठघरे में खड़ा किया, वह देखते ही बनता था (और बनता है)! रोज एक गोला दागा जाता और अफसर रोज ढेर होता रहता!

बताइए, ऐसे ‘फर्जी’ को कौन बचाने आता? इसलिए सत्य की जीत हुई! सत्य की जीत किस तरह से होती है, इसे हम सब धन्यभागों ने चैनलों में इन्हीं आंखों से लाइव-लाइव देखा! पहली बार महसूस हुआ कि सारे सत्य एक व्यक्ति को मालूम थे, जबकि अफसर सिर्फ झूठ गढ़ रहा था! इसीलिए उसे फर्जीवाड़ा करने वाला कहा! जरा सोचिए : अगर ‘असली सत्य’ का ऐसा जबर्दस्त हस्तक्षेप न होता, तो कितना अनर्थ हो जाता? अगर अफसर के ‘पूर्वसत्य’ के बरक्स ‘उत्तरसत्य’ न होता तो देश और चैनल अंधेरे में ही रहते! नौनिहाल के साथ अन्याय होता रहता और एक ‘फर्जी’ अफसर जिस-तिस से ‘उगाही’ करता रहता!

धिक्कार है कि सारे खोजी चैनल इस ‘फर्जी’ अफसर की ‘असलियत’ छिपाए रहे! लेकिन सत्य हर रोज चैनलों में आ-आकर ‘असली कहानी’ बताता रहा कि वह अफसर फर्जी! उसका नाम फर्जी! उसकी सनद फर्जी! बाप का नाम फर्जी! जाति फर्जी! धर्म फर्जी! सब कुछ फर्जी! मुसलमान था, रिजर्वेशन लेने के लिए दलित हो गया…

बताइए, ऐसा ‘फर्जी’ आदमी जांच कैसे कर सकता है? ऐसे को तो जेल में होना चाहिए न! सत्य का ऐसा उत्कट अनुसंधान देख तसल्ली हुई कि चलो, कोई तो है, जिसे नशे की राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय कहानी का सारा सत्य मालूम है! लीजिए, ये रहा उस फर्जी अफसर का निकाहनामा! ये रहे काजी साहब, जिनने कराया निकाह और ये रही सनद! एक गवाह कहने लगा कि उसने सुना कि अफसर ने पच्चीस करोड़ मांगे थे, अठारह पर बात पक्की हुई, इनमें से आठ करोड़ अफसर के थे! इसीलिए तो कहा गया कि ऐसे फर्जीवादी की नौकरी जाएगी और वह जेल जाएगा! सत्यमेव जयते!

कहानी का असली मर्म जमानत के बाद खुला और खुलासा सत्य का हुआ कि अफसर और एक सत्ता-दल एक-दूसरे से मिले हुए हैं! ये बालीवुड को बदनाम करना चाहते हैं और यूपीवुड बनाना चाहते हैं! ऐसा कैसे होने दिया जा सकता है? ‘सत्ता’ और ‘सत्य’ की इस दैनिक कुश्ती के बीच अधिकांश चैनल ‘हिज मास्टर्स वायस’ बन गए, यानी इसकी भी हां हां उसकी भी हां हां! इसकी भी जै जै, उसकी भी जै जै! और अंत में ताकतवर की जै जै!

चलते-चलते कहानी में एक अंतरराष्ट्रीय नशेबाज दाढ़ी वाले ने प्रवेश किया है और मामला छब्बीस अन्य मासूमों को छुड़वाने का बन चला है!
एकाध सिरफिरा एंकर पूछेगा कि सर जी, जब आपको दाढ़ी वाले के बारे में सब मालूम है, तो आपकी पुलिस क्यों नहीं पकड़ रही! बताइए ऐसी कुतर्की को क्या जबाव दिया जाय!

कहानी का अंत ‘हैप्पी फेमिली फोटो’ के प्रसारण से हुआ! अंत भला सो सब भला! एक एंकर चहका कि इतने दिन बाद पिता के चेहरे पर मुस्कान दिखी! हम तो कहेंगे कि जैसे उनके दिन फिरे, सबके फिरें!

अगली खुशखबर ‘पेगासस’ को लेकर बड़ी अदालत द्वारा जांच कमेटी बना देने की रही! कुछ हमेशा दुखी दिखते चेहरे भी खिले-खिले दिखे!
लेकिन वाह रे ‘टी-20’ कि इधर पाक ने भारत को हराया, उधर पाक के मंत्री ने इसे ‘इस्लाम की जीत’ कह कर आग लगाने की कोशिश की। इस पर पहले तो अपने देशभक्त चैनलों ने पाक की इस मानसिकता को धोया, फिर पाक की जीत पर खुशियां मनाने वालों की धर-पकड़ को सही ठहराया!
अंत में दीवाली के सीजन में मंगलसूत्र का ‘सेक्सिस्ट टीजर’ देकर एक डिजाइनर विवाद का हीरो बना! डिजाइनर भइए ने जानबूझ कर काली, सांवली और नाराज से लुक वाली माडलों के ‘क्लीवेंजो’ (छाती मध्य) के बीच मंगलसूत्र लटका कर अपने मंगलसूत्र की मार्केटिंग कर डाली!