आज से नया साल शुरू हो चुका है, मगर बीते साल की लंबी छाया अभी तक हटी नहीं है। 2008 के अप्रत्याशित अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट ने 2009 की गतिविधियों को निर्धारित किया था। 2020 की अभूतपूर्व महामारी ने 2021 की दिशा तय कर दी थी। तो क्या 2022 की घटनाओं का असामान्य संयोजन 2023 की दिशा तय करेगा? इसका प्रभाव दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में महसूस किया जाएगा और भारत इसका अपवाद नहीं होगा।
निस्संदेह, भारत सरकार इस तरह के पूर्वानुमानों पर विवाद करती है। भाजपा सरकार के लिए, भारत अपवाद है। अकेले सरकार ऐसा मानती है कि 2023 में वृद्धि दर ऊंची रहेगी, मुद्रास्फीति मध्यम होगी और बेरोजगारी दर में गिरावट आएगी।

अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि जारी रखने के बावजूद भारत में शुद्ध पूंजी प्रवाह में वृद्धि होगी और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद, विश्व व्यापार बढ़ेगा। मुझे लगता है कि कोई भी समान रूप से आशावादी हो सकता है और भविष्यवाणी कर सकता है कि भारत के शीर्ष क्रम की उदासीन बल्लेबाजी के बावजूद, रविचंद्रन आश्विन आइसीसी विश्व कप 2023 में भारत को ऐतिहासिक जीत तक ले जाएंगे। जैसा कि कहा जाता है, ‘अगर इच्छाएं घोड़ा होतीं, तो भिखारी उन पर सवारी करते।’

मुझे उम्मीद है कि सरकार के नेता और वरिष्ठ अधिकारी अपनी रिपोर्ट और विश्व संगठनों की रिपोर्ट पढ़ेंगे। यहां भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर कुछ रिपोर्टें दी गई हैं।

विहंगावलोकन: जोखिमों का संतुलन तेजी से बढ़ते अंधेरे वैश्विक दृष्टिकोण की ओर झुका हुआ है और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं (ईएमई) अधिक कमजोर दिखाई देती हैं, भले ही आने वाले आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक मुद्रास्फीति चरम पर हो सकती है। (आरबीआइ बुलेटिन, दिसंबर 2022, ‘स्टेट आफ द इकोनामी’)

महंगाई: महंगाई थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन निश्चित रूप से यह बनी रहेगी। कुछ भी हो, यह अंतर चौड़ा और जिद्दी होता गया है। भारत अपने मूल्य स्थिरता उद्देश्य में पहला मील का पत्थर हासिल करने को तैयार है- 2023-24 के दौरान शीर्ष मुद्रास्फीति को स्थायी रूप से सहनशील स्तर पर लाना। फिर भी, अगले साल की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति के बढ़ने का अनुमान है, इससे सुरक्षा में कोई कमी नहीं आ सकती। घरेलू मुद्रास्फीति: सीपीआइ कोर मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने छह फीसद पर स्थिर रही। क्षेत्रीय वितरण के संदर्भ में, नवंबर 2022 में ग्रामीण मुद्रास्फीति (6.09 फीसद) शहरी मुद्रास्फीति (5.68 फीसद) से अधिक थी।

वैश्विक विकास: आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) ने 2023 के लिए वैश्विक विकास दर 2.2 फीसद आंकी है, जो कि 2022 के 3.1 फीसद के पूर्वानुमान से नब्बे आधार अंक कम है। भारत की विकास दर 6.6 फीसद से नीचे, 5.7 फीसद हो गई है। (एचटीटीपीएस://डब्लूडब्लूडब्लू.ओईसीडी.ओआरजी/इकोनामिक-आउटलुक/नवंबर-2022#जीडीपी)

वैश्विक व्यापार: 28 नवंबर, 2022 को जारी ‘डब्लूटीओ गुड्स ट्रेड बैरोमीटर’ के अनुसार, 2022 के समापन महीनों और 2023 में व्यापार वृद्धि धीमी होने की संभावना है। 96.2 की वर्तमान ‘रीडिंग बेसलाइन वैल्यू’ और ‘इंडेक्स’ से नीचे है और 100.0 की पिछली रीडिंग, व्यापार की गई वस्तुओं की ठंडी मांग को दर्शाती है। (एचटीटीपीएस://डब्लूडब्लूडब्लू.डब्लूटीओ.ओआरजी>न्यूज22 _ई)

व्यापार घाटा: अप्रैल-नवंबर 2022 के आठ महीनों के दौरान भारत का व्यापार घाटा 2021-22 में पूरे वर्ष के लिए 191.0 अरब अमेरिकी डालर के मुकाबले 198.4 अरब अमेरिकी डालर था। इसमें से अकेले चीन के साथ व्यापार घाटा लगभग 73 अरब अमेरिकी डालर (डीजीसीआइ एवं एस) था।

चालू खाता घाटा: इस वर्ष चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़ने की उम्मीद है। आइएमएफ का अनुमान है कि 2022-23 में सीएडी जीडीपी के फीसद के रूप में बढ़ कर (-) 3.5 फीसद हो जाएगा। विश्व बैंक ने सीएडी (-) 3.2 फीसद (वित्त मंत्रालय, मासिक आर्थिक समीक्षा, नवंबर 2022) का अनुमान लगाया है।

राजकोषीय घाटा: 2022-23 के बजट में राजकोषीय घाटे (एफडी) में पिछले वर्ष के 6.7 फीसद से सुधार कर 6.4 फीसद करने का वादा किया गया था। दिसंबर 2022 में सरकार ने 3,25,756 करोड़ रुपए की पूरक मांगें पेश कीं। यह पूछे जाने पर कि वित्तपोषण का स्रोत क्या होगा, वित्तमंत्री ने संकेत दिया कि सरकार को कर राजस्व में वृद्धि के माध्यम से अतिरिक्त पैसा मिलेगा और जोर देकर कहा कि 6.4 फीसद की एफडी सीमा का उल्लंघन नहीं किया जाएगा। यह 21 दिसंबर, 2022 की बात है। बमुश्किल अड़तालीस घंटे बाद, मंत्रिमंडल ने बैठक की और फैसला किया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत सबसिडी वाले खाद्यान्न को 2023 में मुफ्त वितरित किया जाएगा।

विधेयक: दो लाख करोड़ रुपए पूरक मांगों का हिस्सा नहीं था (हालांकि एनएफएसए के लिए 60,111 करोड़ रुपए की राशि फंसी हुई थी)। मेरा निष्कर्ष है कि 2023 की शुरुआत एफडी के लक्ष्य को पार करने के खतरे से होगी। (वित्त मंत्रालय, राज्यसभा में बहस)

बेरोजगारी: ‘सेंटर फार मानिटरिंग इंडियन इकोनामी’ (सीएमआइई) के घरेलू सर्वेक्षण के अनुसार, 29 दिसंबर, 2022 को अखिल भारतीय बेरोजगारी दर 8.4 फीसद थी। इसमें शहरी बेरोजगारी दर 10 फीसद थी। (सीएमआइई)

मंदी: नवंबर 2022 में दस साल के अमेरिकी कोष की उगाही में चौवालीस आधार अंकों की गिरावट आई, जबकि दो साल के जी-सेक की उगाही में सत्रह आधार अंकों की कमी आई। इस प्रकार उगाही का वक्र तेजी से उलटा हुआ और उसमें मंदी के उभरते संकेत दर्ज हुए। (आरबीआइ बुलेटिन, दिसंबर 2022, स्टेट आफ द इकानामी)

मुझे डर है कि सरकार को अभी तक यह अहसास नहीं हुआ है कि जो चीजें उसके नियंत्रण हैं उनसे कहीं अधिक वे चीजें हैं, जो उसके नियंत्रण नहीं हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध, आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान, उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें, खासकर तेल की कीमतें और कोरोना वायरस के नए बहुरूप का मतलब है कि भारत 2023 में एक अनिश्चितता की दुनिया में कदम रखेगा।