भांड़ कौन होती है कहने वाली कि पद्मावती रिलीज होगी ही। वो क्या पीएम है?
एंकर: देखिए, आप ऐसी भाषा न बोलिए…
बीच में पद्मावती फिल्म का ट्रेलर दिखता है- पद्मावती बनी दीपिका घूमर नाच रही है…
स्टूडियो में बिठाया गया एक वीर म्यान से तलवार निकाल कर दिखाता है।
एंकर: देखिए, तलवार न निकालिए…
– दीपिका की सुरक्षा बढ़ा दी गई। एक प्रदर्शनकारी ने गोली चला दी है। खबरों और बहसों के बीचोबीच पद्मावती का वही ट्रेलर दिखता है। वह खुश खुश घूमर नाच रही है।
– अगर जरूरत पड़ी तो भंसाली का सिर काट देंगे। वो हमारी देवी का अपमान करने वाला कौन होता है…
– हम दीपिका की नाक काट देंगे, वो क्यों कह रही है कि पद्मावती रिलीज होकर रहेगी? हम किसी हाल में रिलीज नहीं होने देंगे।
एक ओर सिर काटने और नाक काटने की बात, दूसरी ओर पद्मावती का ट्रेलर!
यह कैसा कोलाहल भरा कोलाज बना रहे हो भाई! एक ओर कला, दूसरी ओर विरोध को बराबर पर दिखा कर आप विरोध को भी कला का दर्जा दे रहे हो! महीने भर से यही हो रहा है!
एक चैनल दावा करता है कि उसने करणी सेना के नेताओं पर स्टिंग किया है। ध्यान से देखिए, वे क्या बोल रहे हैं?
जो सबके सामने सिर काटने की बात कहते हों उनकी भी क्या ‘स्टिंग’ की जाती है?
एंकर पूछते रहते हैं: सरकार चुप क्यों हैं? अरे इसी तरह तो ‘मॉब फासिज्म’ की कड़ाही खौलाई जाती है!
चित्तौड़गढ़ के जौहर कुंड वाली जगह में बहुत सारी क्षत्राणियां खड़ी हैं। एक रिपोर्टर पूछती है: आप आज तलवार लेकर क्यों निकली हैं?
– हम अपनी रानी के सम्मान के लिए यहां खड़ी हैं। हम फिल्म को रिलीज नहीं होने देंगे। क्या हमारी रानी ऐसी थी? रानी कभी नहीं नाची। न कभी ऐसे कपड़े पहने, जिसमें कमर दिखे। देखो हमारे कपड़े और ये जो लटके-झटके दिखा रही है, ये हमारी जौहर वाली परंपरा का सरासर अपमान है। हम इसे बरदाश्त नहीं करेंगे।
– जो भंसाली और दीपिका के सिर काट कर लाएगा उसे पांच करोड़ का इनाम दिया जाएगा।
सरकार चुप। मगर क्यों? हमारे रणबांकुरे एंकर सरकार से यही एक निरीह-सा सवाल करते हैं! वे न राजे के पीछे पड़ते हैं, न किसी और सीएम के पीछे पड़ते हैं। उनके सवाल भी सेलेक्टिव हैं।
एक एंकर को बोलते देख कर लगता है कि कहीं वह करणी सेना का सदस्य तो नहीं हो गया है? उसे खुद परंपरा की पड़ी है। जब अंग्रेजी में भी ऐसे एंकर हों, तब तो करणी सेना की भी जरूरत नहीं।
यह है ‘मॉब फासिज्म’ बनाने की कला! ‘मॉब फासिज्म’ की पेकेजिंग! ‘माब फासिज्म’ के आतंक की सेल! यह जितनी जमीन पर बनती है, उससे कई गुना चैनलों पर बनती है!
मॉब जानती है कि वो गरम बात करेगी, तो कैमरे उसको लाइव दिखाएंगे, उसका रुतबा बढ़ेगा। जितनी बड़ी धमकी होगी, उतनी बड़ी खबर होगी और उतनी ही चापलूस और कायर किस्म की बहसें होंगी, जो दो दिन बजेंगी। अगर किसी के सिर कलम करने की धमकी होगी तो रिकार्ड तोड़ बजेगी! चैनल बजाएंगे। जनतंत्र की दुहाई देते हुए बजाएंगे। वे तलवार वालों को भी स्टूडियो में सादर बिठा कर उनसे कुछ डरे-डरे सवाल करेंगे, ताकि दर्शक भी डरें।
मॉब इतिहास लिख रही है! जो इतिहास में नहीं मिलती उस पद्मावती का अपना इतिहास ‘रच’ रही है। ऐसा ‘मॉब इतिहास लेखन’ इतिहास लेखन की किस कोटि में आता है सर जी? इतिहास लेखन और इतिहास देखने को लेकर कुछ नए खतरनाक प्रयोग जारी हैं।
अंत में भाजपा क्रमिक तरीके से सहारा देती दिखती है। पहले एक एमएलए करणी सेना की भाषा बोलता है, फिर एक बड़ा नेता पद्मावती के फाइनेंस को लेकर सवाल करता है कि पैसा कहां से आया? जांच हो।
समझ में आया न कि सरकारें क्यों चुप हैं?
पहली बार साफ हुआ कि इतिहास की भी मूछें होती हैं और इन दिनों पद्मावती का इतिहास वही लिख रही लगती हैं। आगे से जो भी इतिहास को बताए, उनसे पूछ कर बताए। पद्मावती का असली कॉपीराइट उन्हीं का है, जायसी का नहीं!
खिलजी विलेन है। ड्रीम सीक्वेंस में उसे पद्मावती से इश्क करते दिखाया है। यह घोर अपमान है। वह कैसा सपना देखे, उसे हम तय करेंगे और उसको क्या हक कि पद्मावती का सपना देखे? सपना नॉट अलाउड!
एक ‘प्रो’ दबी जुबान से कहता है: पहले देख तो लीजिए, क्या पता उसके बाद पद्मावती की महिमा और बढ़ जाए! नहीं। पहले हम देखेंगे। हम ओके कर दें तब दिखाओ। हम सेंसर के भी सुपर सेंसर हैं।
रिपब्लिक के अर्णव गोस्वामी अपनी पूरी टीम के साथ इस फिल्म को देखने के बाद प्राइम टाइम में बताते रहे कि फिल्म पद्मावती राजपूतों की महिमा को बढ़ाने वाली फिल्म है। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वे अपने विरोध के लिए शर्मिंदा होंगे और भाजपा को अपना स्टैंड बदल लेना चाहिए। लेकिन अब यह फिल्म सेंसर बोर्ड को बाइपास करने की अपराधी ठहराई जा रही है! एक और चैनल के एंकर ने इस फिल्म को देखने के बाद दावा किया है कि यह फिल्म पद्मावती का गौरवगान करती है। सीबीएफसी फिल्म वालों की इस हरकत से नाराज नजर आता है। इसकी रिलीज की तिथि भी टल चुकी है। ऐसा लगता है कि चैनलों को पहले यह फिल्म दिखा कर एक तरह से अपना प्रचार किया जा रहा है। इस तरह से पद्मावती का मुद्दा भंसाली बरक्स सेंसर बोर्ड होने वाला है। शायद इसका प्रदर्शन गुजरात चुनाव तक टल जाए।

