एक विपक्षी ऐतराज करता है कि कोरोना काल में मंदिर का भूमि पूजन उचित नहीं और उनका पूजन में जाना एकदम ‘कम्युनल’ है और उसका लाइव कवरेज दोगुना ‘कम्युनल’! तीन चैनल इस पर पूरे दो दिन तक सांप्रदायिक किस्म की बहसें कराते हैं।
एक साध्वी फरमाती हैं कि आज से पांच अगस्त तक सारे देशवासियों को रोज शाम को सात बजे हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से कोरोना भाग जाएगा! इतने अच्छे सुझाव का चैनल आनंद तक नहीं लेते!
एक एंकर, प्रवक्ता से भी आगे बढ़ कर फटकारता है कि आप सेक्युलरिए, लिबरलिए रोजा रखे बिना, टोपी लगा कर इफ्तार में ‘लाइव’ दिखें तो ‘सेक्युलर’ और रामभक्त मंदिर जाएं तो कम्युनल! धिक्कार है!
इन दिनों अधिकतर चैनल मंदिर-मय हैं। सभी मंदिर को बनता देखना-दिखाना चाहते हैं। कुछ रिपोर्टर तो ‘जय श्रीराम’ लिखी ईंटों को अपने प्यार भरे कैमरे से कवर करते-कराते रहते हैं। इस मौसम में कई अंग्रेजी एंकर हिंदी वालों से भी बड़े भक्त नजर आते हैं! और उन भक्तों की तारीफ करते नहीं अघाते, जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में चांदी की ईंटें भेजी हैं। समिति को कहना पड़ा है कि ईंटों को रखने की जगह नहीं है, जो भक्तजन दान देना चाहते हैं वे उसे आन लाइन खाते में जमा करें।
जब कुछ ‘अभक्तों’ ने ‘उलटा जाप’ किया तो कुछ ‘भक्तों’ ने अपने धिक्कारों से ही उनको तार दिया और जो ‘रावण’ टीवी में आकर ही तरना चाहते थे, उनको ‘एंकरों’ ने अपनी फटकारों से तार दिया!
लेकिन एक एंकर मुंबई वाली कलिकथा को तब भी नहीं भूला और सातों दिन प्राइम टाइम में इस कलियुगी कथा की परतें खोल कर अभियान चलाता रहा कि ‘इंडिया फॉर सुशांत’, कि सुशांत ने ‘आत्महत्या’ नहीं की, बल्कि उसकी ‘हत्या’ हुई है और उसके लिए जिम्मेदार है वह बॉलीवुड माफिया, जो किसी बाहरी को आगे नहीं आने देता। ये लीजिए पेश है कंगना का माफिया का पोल खोल इंटरव्यू बार-बार लगातार। कंगना बार-बार दुहरातीं कि इन इन इन से पुलिस क्यों नहीं पूछती? कुछ लोग उसका मनोबल तोड़ देते हैं, उसे पागल जैसा सिद्ध कर देते हैं। और वैसा करने पर मजबूर कर देते हैं…
लेकिन जल्दी ही माफिया के पक्षधर भी आ जुटे और तर्क देते रहे कि भाई जी! जो करोड़ों लगाएगा, वो ‘हायर फायर’ भी न करेगा तो क्या करेगा? उसके दांव लगे होते हैं और यह बिजनेस है, फिर फलां फलां तो बाहरी होते हुए भी आगे आए। खुद सुशांत को ब्रेक दिया गया। अब अगर उसे कुछ हो गया तो बॉलीवुड कहां जिम्मेदार। बॉलीवुड को बदनाम न करो!
ज्यादातर एंकर लगभग तीन दिन, तीन रात ‘माफिया राग’ अलापते रहे। मुंबई पुलिस रोज किसी नामचीन को पूछताछ के लिए बुलाती। वह किसी अहसान की तरह थाने आता और चला जाता। उसके चमचे उसके साथ चिपके होते। वह टीवी कैमरों को लिफ्ट तक न देता! ऐसा रुतबा दिखाता!
लेकिन एक दिन जब सुशांत के पिता ने अपने बेटे की मौत का जिम्मेदार मान कर सुशांत के साथ ‘सहवास’ में रहने वाली रिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए, उस पर सुशांत का पैसा हड़पने और उसको घरवालों से दूर करने आदि के आरोप लगाए तो ‘माफिया’ को छोड़ कहानी रिया के पीछे पड़ गई। उसने सुशांत के खाते से पंद्रह करोड़ अपने और भाई की कंपनी के खाते में ट्रांसफर करा लिए और ‘वह विक्षिप्त है, दवाइयां लेता है, सबको बता देगी’ कह कर सुशांत को ‘ब्लैकमेल’ करती रही…
जो एंकर बालीवुड से हिसाब चुकता करने के लिए अरसे से ‘माफिया माफिया’ खेल रहे थे, उनके मुंह निकल आए और जो एंकर उनके हल्ले के आगे मायूस थे, रिया की कहानी के आते ही बॉलीवुड-माफिया के पक्ष में ‘पटा बनैती’ करते रहे।
कहानी के इस ‘ट्विस्ट’ ने चैनलों को दो फाड़ कर दिया! एक वर्ग कहता कि मुंबई पुलिस जो कर रही है, ठीक कर रही है। दूसरा कहता कि मुंबई पुलिस जिस तरह से जांच कर रही है उसके चलते एक दिन ‘नो बडी किल्ड जेसिका’ की तर्ज पर कह देगी कि ‘सुशांत को किसी ने नहीं मारा’ और केस बंद हो जाएगा। इसलिए मामला सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए। पिता के वकील ने कई चैनलों में कहा कि सारी बातें बताती हैं कि रिया ही असली गुनहगार है, उसे गिरफ्तार करें और मामला या तो बिहार पुलिस को सौंपें या सीबीआई को सौंपें। वे ही न्याय कर सकते हैं!
इसके आगे कहानी में खलों की खल दलीय राजनीति ने दखल दिया और देखते-देखते कहानी में ‘सुशांत के घर में मौत की रात देर तक चली पार्टी में महाराष्ट्र सरकार के एक बड़े राजनेता के होने’ बरक्स ‘जब तक बिहार का चुनाव न होगा तब तक सुशांत की कहानी चलेगी’ की राजनीति मे बदल गई। साथ ही मुंबई पुलिस बरक्स बिहार पुलिस बरक्स सीबीआई की जांच की मांग करने वालों के बीच रस्साकशी भी चलती रही!
सारी कहानी में सिर्फ कंगना साहसी दिखीं, बाकी के एंकरवीर डरपोक नजर आए। या तो कंगना ने नाम लिए या पिता के वकील ने, बाकी किसी एंकर, रिपोर्टर या सुशांत के मित्रादि नाम लेने से बचते रहे।
इसे कहते हैं ‘पराक्रमी पत्रकारिता’! एंकर-रिपोर्टर किसी कमजोर खल का नाम तो लेते रहे, लेकिन किसी ताकतवर का नाम लेने से डरते रहे और आपको ‘हाई प्रोफाइल मर्डर मिस्ट्री’ की गुत्थियां सुलझाने के लिए छोड़ते रहे। अब आप सोचते रहें कि वह बड़ा राजेनता कौन है, जिसका नाम कोई नहीं बताता, लेकिन जिसके होने को बताता है!
इस बीच पांच रफालों के अंबाला में उतरने के दृश्यों ने कुछ एंकर रिपोर्टरों को वीर रस से इस कदर ओतप्रोत कर दिया कि अधिकतर कहने लगे कि रफाल के अंबाला में उतरने की खबर मात्र से पाक और चीन दोनों थरथर काप रहे हैं। उधर खबर आती रही कि चीन की सेना अब भी वहीं जमी है!

