आपने दण्डवत प्रणाम के बारे में सुना होगा। हिंदू धर्म में दण्डवत प्रणाम करने को बहुत ही शुभ माना गया है। मालूम हो कि हिंदू धर्म में प्रणाम करने की परंपरा बहुत ही पुरानी है। अपनों से बड़ों को प्रणाम करने की यह परंपरा काफी लंबे समय से चली आ रही है। मान्यता है कि प्रणाम करने से व्यक्ति की गलतियां माफ हो जाती हैं और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। इसके अलावा प्रणाम करने से व्यक्ति के अंदार के अभिमान की समाप्ति होती है। वहीं, शास्त्रों में कहा गया है कि एक दण्डवत प्रणाम करने से एक यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। इससे व्यक्ति को उसके पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है और वह धर्म के रास्ते पर चल देता है। इस प्रकार से दण्डवत प्रणाम की महत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
दण्डवत प्रणाम को उपासना की एक प्रक्रिया माना गया है। कहते हैं कि इस उपासना से व्यक्ति का मन शांत होता है। वह सांसारिक दौड़-भाग से अलग आनंद की अनुभूति करता है। दण्डवत प्रणाम करने से व्यक्ति अपने जीवन के सच्चे अर्थों को जान पाता है। इससे व्यक्ति के अंदर विनम्रता आती है जिससे वह समाज कल्याण के कार्यों में मन लगाता है। कहा जाता है कि ऐसे ही व्यक्ति का जीवन सफल है। और उसे लंबे समय तक याद किया जाता है।
शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान का प्रिय बनने के लिए मनुष्य को अपना अहंकार त्यागना होगा। जो मनुष्य अपना अहंकार त्यागकर स्वयं को भगवान को सौंप देता है, उसे ही ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है। दण्डवत प्रणाम को इसके लिए काफी उपयोगी माना गया है। कहते हैं कि दण्डवत प्रणाम करने से मनुष्य में बराबरी का भाव आता है। आप मनुष्य जाति को समान दृष्टिकोण से देखते हैं। इससे आपके अंदर दया-भाव का संचार होता है।