शिव के अवतारों को लेकर यह बहस हमेशा से रही है कि क्या शिव ने कभी अवतार लिया था या यह मात्र पौराणिक कल्पना ही है? खैर जो भी है हम आपको उन कुछ पौराणिक शख्सियतों से परिचित करवाते हैं, जिन्हें शिव का अवतार माना जाता है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव बारह साल तक ब्रह्मा के कटे सिर के साथ रहे थे। आखिर क्या कारण था कि शिव को ऐसा करना पड़ा। शास्त्रों के मुताबिक हम आपको वह प्रसंग बता रहे हैं।

जब सती के रूप में पार्वती ने अपना देह त्यागा था तब क्रोध में आकर शिव ने अपने सिर का एक बाल तोड़ा जिसमें से वीरभद्र और काली की उत्पत्ति हुई। कहते हैं वीरभद्र, शिव का सबसे खौफनाक और भयभीत कर देने वाला स्वरूप है। लाल आंखें और काले स्वरूप वाले वीरभद्र के गले में इंसानी खोपड़ियों वाली माला भी है। यज्ञ के दौरान वीरभद्र ने राजा दक्ष, जिनकी वजह से सती ने अपने प्राण त्यागे थे, का सिर काट डाला था।

जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच वरिष्ठता को लेकर विवाद चल रहा था तब भगवान शिव ने उनकी परीक्षा लेने की ठानी। लेकिन जब इस परीक्षा में ब्रह्मा ने झूठ का सहारा लिया तब क्रोध में आकर भगवान शिव ने भैरव अवतार लेकर ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया था। लेकिन ऐसा कर शिव के सिर पर ब्रह्म हत्या का पाप लग गया जिसका पश्चाताप करने के लिए शिव ने, करीब 12 सालों तक ब्रह्मा का कटा सिर थामकर भीक्षा मांगकर जीवन व्यतीत किया। माना जाता है कि इसी स्वरूप में शिव सभी शक्तिपीठों की रखवाली करते हैं। सागर मंथन के दौरान जब शिव ने क्षीर सागर से निकला विष का प्याला पी लिया था तब विष के प्रभाव के कारण उनका गला जलने लगा। ऐसे में शिव के भीतर से विष पुरुष ने जन्म लिया और शिव ने उसे वरदान दिया कि वे द्रोण के पुत्र के रूप में धरती पर अवतार लेकर अशक्त क्षत्रियों की हत्या करेगा।

अश्वत्थामा शिव के इसी अवतार का नाम है। विश्वनार ब्राह्मण के पुत्र के रूप में भगवान शिव ने अवतार लिया था। विश्वनार ने उसका नाम गृहपति रखा। जब गृहपति नौ वर्ष का था तब नारद ने उसके पिता से कहा कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है। अपनी मौत की बात सुनकर गृहपति काशी गए और वहां जाकर उन्होंने शिव की घोर अराधना कर मौत पर विजय पाई। अपने अत्याधिक क्रोध की वजह से संसार भर में पहचाने जाते ऋषि दुर्वासा एक ऐसे महान संत थे जिन्हें शिव का अवतार माना जाता है। शिव ने ब्रह्माण्ड में अनुशासन बनाए रखने के लिए दुर्वासा के रूप में अवतार लिया था। विष्णु ने धरती पर भगवान राम के रूप में अवतार लिया और इनकी सेवा करने के लिए स्वयं शिव हनुमान के रूप में अवतरित हुए।