मोरारी बापू (Morari Bapu) देश के चर्चित रामकथा वाचक और मानस मर्मज्ञ हैं। वह भारत के अलावा दुनिया के तमाम देशों में रामकथा सुनाने जाते हैं। उनकी कथाओं में हजारों की तादाद में भक्त और श्रोता भी उमड़ते हैं। मोरारी बापू की जो बात उन्हें खास बनाती है, वो है उनके कथा सुनाने का अंदाज। वो अपनी कथा में कई गद्य, पद्य और शायरी-कविता भी पढ़ते हैं।
मोरारी बापू की कथाओं में डॉ. कुमार विश्वास से लेकर तमाम दिग्गज शायर, गीतकार और कवि भी नजर आते हैं।
मुकेश और अनिल अंबानी में आई दरार तो की थी मध्यस्थता: मोरारी बापू अपनी कथाओं के दौरान बार-बार खुद को फकीर कहते हैं, लेकिन उनकी पहुंच देश के तमाम राजनेताओं से लेकर बिजनेस घरानों तक है। लोग उनकी बात मानते भी हैं।
इसका एक उदाहरण तब सामने आया था जब देश के दो दिग्गज उद्योगपतियों के बीच ठन गई थी। दरअसल, धीरूभाई अंबानी के देहांत के बाद जब प्रॉपर्टी में बंटवारे की बात आई तो कहा गया कि मुकेश और अनिल अंबानी के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। दोनों के झगड़े के बीच मोरारी बापू मध्यस्थ बनकर सामने आए और सुलह कराई। खुद मुकेश और अनिल अंबानी की कोकिलाबेन ने कलह सुलझाने में बापू की मदद लेने की बात मानी थी।
विवादों में भी रहे मोरारी बापू: मोरारी बापू लोकप्रिय होने के साथ-साथ विवादों में रहे हैं। ऐसा ही एक मौका तब आया जब उनपर आरोप लगा कि उन्होंने कथित तौर पर अपनी कथा में भगवान श्री कृष्ण और बलराम जी पर टिप्पणी कर दी थी। तब बीजेपी विधायक रहे पबुभा माणेक बेहद नाराज हो गए थे। बाद में जब मोरारी बापू द्वारका जगत मंदिर के दर्शन करने पहुंचे तो माणेक ने उनपर हमला करने की कोशिश की थी।
PM मोदी भी रहे हैं श्रोता: मोरारी बापू की कथाओं में नामी राजनेता से लेकर उद्योगपति, सिनेमा जगत की हस्तियां श्रोता के तौर पर नजर आती हैं। खुद पीएम मोदी भी मोरारी बापू की कथा में श्रोता के तौर पर शिरकत कर चुके हैं। तब मोदी गुजरात के सीएम थे।
छोटी उम्र में ही याद कर लिया था राम चरितमानस: आपको बता दें कि मोरारी बापू का जन्म 25 सितंबर 1946 को गुजरात के भावनगर जिले के तलगाजरडा गांव में हुआ था। बापू का परिवार ‘वैष्णव बावा साधू निंबार्क वंश’ से संबंधित है, जिसमें प्रत्येक बच्चे को बापू कहकर पुकारा जाता है। बापू का ज्यादातर बचपन अपनी दादी और दादा के साथ व्यतीत हुआ।
बकौल मोरारी बापू, उनकी दादी उन्हें घंटों तक लोक कथाएं सुनाती थीं और उनके दादा उन्हें राम चरित मानस की चौपाइयां सुनाते और याद कराते थे। बापू ने 12 साल की उम्र में ही रामचरित मानस को कंठस्थ कर लिया था। साथ ही 14 साल की उम्र में राम कथा का वाचन शुरू कर दिया था। मोरारी बापू ने अपनी पहली रामकथा साल 1960 में अपने ही गांव में की थी।