Vishwakarma Puja 2020 Puja Vidhi, Shubh Muhuart, Mantra, Timings: इस साल विश्वकर्मा पूजा 16 और 17 सितंबर को मनाई जाएगी। इस दिन विश्वकर्मा जी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। उन्हें दुनिया का पहला इंजीनियर कहा जाता है। कहते हैं कि विश्वकर्मा जी शिल्पकला और वास्तुकला में निपुण थे। इसलिए ही शिल्प और वास्तु के क्षेत्रों से जुड़े लोग विश्वकर्मा जी को अपने गुरु के रूप में पूजते हैं। कहते हैं कि इस दिन ऋषि विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि होती है। यह व्यापार में तरक्की के लिए पूजा करने का बहुत शुभ समय माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन सही विधि से पूजा की जाए तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन कंपनियों में अबीर गुलाल लगाकर कर्मचारी एक-दूसरे को विश्वकर्मा पूजा की बधाई देते हैं।

विश्वकर्मा पूजा विधि (Vishwakarma Puja Vidhi/ Vishwakarma Pujan Vidhi)

इस दिन सवेरे उठकर स्नानादि कर पवित्र हो जाएं। फिर पूजन स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें।
एक चौकी लेकर उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं। पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं।
भगवान गणेश का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें। स्वास्तिक पर चावल और फूल अर्पित करें।
फिर चौकी पर भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या फोटो लगाएं।
एक दीपक जलाकर चौकी पर रखें। भगवान विष्णु और ऋषि विश्वकर्मा जी के मस्तक पर तिलक लगाएं।
विश्वकर्मा जी और विष्णु जी को प्रणाम करते हुए उनका स्मरण करें। साथ ही यह प्रार्थना करें कि वह आपके नौकरी – व्यापार में तरक्की करवाएं।
विश्वकर्मा जी के मंत्र का 108 बार जप करें। फिर श्रद्धा से भगवान विष्णु की आरती करने के बाद विश्वकर्मा जी की आरती करें।
आरती के बाद उन्हें फल-मिठाई का भोग लगाएं। इस भोग को सभी लोगों और कर्मचारियों में जरूर बांधें।

विश्वकर्मा पूजा शुभ मुहूर्त (Vishwakarma Puja Shubh Muhurat)

चतुर्दशी तिथि आरंभ – 15 सितंबर, मंगलवार – रात 11:01 पी एम से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 16 सितंबर, बुधवार – शाम 07:56 पी एम तक
चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त – 16 सितंबर, बुधवार – सुबह 10 बजकर 09 मिनट से सुबह 11 बजकर 37 मिनट तक

विश्वकर्मा मंत्र (Vishwakarma Mantra)

ओम आधार शक्तपे नम:।
ओम् कूमयि नम:।
ओम अनन्तम नम:।
पृथिव्यै नम: मंत्र।

Live Blog

17:33 (IST)17 Sep 2020
हैप्पी विश्वकर्मा पूजा

इस दुनिया में छाई है,

आपकी ही सुंदर रचना,

सुख और दु:ख में हम,

जपते आपका नाम हरदम।

17:21 (IST)17 Sep 2020
विश्वकर्मा पूजा की बधाईयां


तुम विश्वपालक, तुम विश्वकर्ता, तुम विश्वव्यापक, तुम कष्टहर्ता।

तुम ज्ञानदानी भण्डार भर्ता, हे विश्वकर्मा...।।

16:48 (IST)17 Sep 2020
बहुत दयालु हैं भगवान विश्वकर्मा

माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा बहुत दयालु हैं कोई भी व्यक्ति अगर सच्चे मन से उनको याद कर उनकी पूजा करता है तो वह तुरंत प्रसन्न हो उस पर कृपा बरसाते हैं।

16:11 (IST)17 Sep 2020
बसाई थी श्री कृष्ण की द्वारिका

पौराणिक कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने श्री कृष्ण के लिए द्वारिका नगरी का बसाई थी। उन्होंने द्वारिका में घर-नगर, महल, गलियां, कुएं, बावड़ी, धर्मशाला और सड़कों का निर्माण किया था।

15:51 (IST)17 Sep 2020
इस दिन भगवान विश्वकर्मा का करें धन्यवाद

विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा को धन्यवाद करना चाहिए। कहते हैं कि साल में एक दिन यानी विश्वकर्मा पूजा के दिन उनको धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि उनकी बनाई सृष्टि में ही आज हम सब रह रहे हैं।

15:25 (IST)17 Sep 2020
विश्वकर्मा भगवान की कृपा से मिलती है सफलता

विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने कारोबार, व्यवसाय, रोजगार और उद्योग जगत में सफलता हासिल होती है। इस दिन पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है।

14:52 (IST)17 Sep 2020
करना बेड़ा पार...

हे विश्वकर्मा

हे जगत आधार

हम है आपके

करना हमारा बेड़ा पार

14:17 (IST)17 Sep 2020
माने जाते हैं कौशल के देवता

भगवान विश्वकर्मा को कौशल का देवता माना जाता है। कहते हैं कि भगवान विश्वकर्मा को पूरे संसार में सृजन और निर्माण के लिए जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस संसार में कुछ भी निर्माण करने के लिए भगवान विश्वकर्मा की कृपा होना बहुत जरूरी है। 

14:06 (IST)17 Sep 2020
यमराज के लिए दण्डक का किया था निर्माण

प्राचीन कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने आत्माओं के स्वामी यमराज के लिए दण्डक का निर्माण किया था। माना जाता है कि इसी दण्डक से यमराज बुरे कर्म करने वाली आत्माओं को दण्ड देते हैं।

13:44 (IST)17 Sep 2020
व्यापार में होती है तरक्की

विश्वकर्मा पूजा के दिन पूजा करने से व्यापार में तरक्की के योग बनते हैं। माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधि-विधान से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करता है उसकी व्यवसाय से जुड़ी सारी अड़चनें दूर होती हैं।

13:06 (IST)17 Sep 2020
कृपा करो कौशल के दाता...

कृपा करो कौशल के दाता

सब अपराध क्षमा कर दो

मैं आया हूं शरण तुम्हारी

दया का हाथ सिर पर धर दो

12:51 (IST)17 Sep 2020
भगवान विश्वकर्मा के साथ विष्णु जी की पूजा का है महत्व

विश्वकर्मा पूजा के दिन केवल भगवान विश्वकर्मा और मशीनों-औजारों की ही नहीं बल्कि भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। कहते हैं कि भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता हैं और भगवान विश्वकर्मा इस सृष्टि के लिए वास्तु कला और शिल्प कला के निर्माण के लिए कार्य करते हैं। इसलिए इनकी पूजा साथ में की जानी चाहिए।

12:32 (IST)17 Sep 2020
आरती के बिना पूरी नहीं मानी जाती पूजा

विश्वकर्मा पूजा के दिन कई लोग सिर्फ मशीनों को फूलों का हार पहनाकर पूजा को संपन्न मान लेते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। हिन्दू धर्म मान्यताओं के मुताबिक कोई भी पूजा तभी संपन्न होती है जब आरती की जाती है। इसलिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के बाद उनकी आरती जरूर करें। 

12:04 (IST)17 Sep 2020
इंजीनियर और आर्किटेक्ट से जुड़े लोगों के लिए हैं गुरु

भगवान विश्वकर्मा को शिल्प कला और वास्तु कला में निपुण माना जाता है। इसलिए कहते हैं कि इंजीनियर और आर्किटेक्ट से जुड़े लोगों के लिए भगवान विश्वकर्मा गुरु हैं। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही संसार को शिल्प कला और वास्तु कला का कौशल सिखाया है। 

11:17 (IST)17 Sep 2020
सिर पर रहे आपका हाथ

श्री विश्वकर्मा दया करना

सिर पर रहे आपका हाथ

मैं बालक नादान हूं

रहना हमेशा मेरे साथ

10:32 (IST)17 Sep 2020
बनाई थी सोने की लंका

माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने इंद्रदेव की आज्ञा से सोने की लंका बनाई थी। बाद में राक्षसों के अनुरोध पर उन्होंने लंका उन्हें दे दी थी।

10:17 (IST)17 Sep 2020
इन मंत्रों के साथ करें पूजा संपन्न

ओम आधार शक्तपे नम:।

ओम कूमयि नम:।

ओम अनन्तम नम:।

पृथिव्यै नम:।

10:02 (IST)17 Sep 2020
देवताओं के लिए बनाए अस्त्र-शस्त्र

पौराणिक कथाओं में ऐसा बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान शिव को त्रिशूल बना कर दिया था। माना जाता है कि भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र और यमराज के लिए दण्डक का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था।

09:37 (IST)17 Sep 2020
कारोबार में वृद्धि के लिए विश्वकर्मा पूजा का है महत्व

मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन सच्चे मन से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से कारोबार में वृद्धि के योग बनते हैं। इसलिए ही इस दिन कंपनियो-कारखानों में भगवान विश्वकर्मा के साथ-साथ मशीनों और औजारों की भी पूजा की जाती है। ताकि व्यापार में तरक्की हो। जो भी लोग अपने कारोबार में तरक्की चाहते हों उन्हें इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा कर उनसे प्रार्थना करनी चाहिए कि उनको व्यापार में तरक्की मिले।

12:48 (IST)16 Sep 2020
सात्विक भोजन करें

इस दिन मशीनों को पूरी तरह आराम देने के साथ ही, इस दिन तामसिक भोजन यानी मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही, अपने व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा करना चाहिए.

12:14 (IST)16 Sep 2020
जानिये भगवान विश्वकर्मा के बारे में...

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाया था. इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, शिव जी का त्रिशूल, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, सोने की लंका को भी विश्वकर्मा भगवान ने बनाया था. अत: इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं.

11:26 (IST)16 Sep 2020
पहला वास्तुकार माना गया है विश्वकर्मा जी को

विश्वकर्मा की पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि उन्हें पहला वास्तुकार माना गया था, मान्यता है कि हर साल अगर आप घर में रखे हुए लोहे और मशीनों की पूजा करते हैं तो वो जल्दी खराब नहीं होते हैं। मशीनें अच्छी चलती हैं क्योंकि भगवान उनपर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं।

10:39 (IST)16 Sep 2020
मंत्रोच्चारण के दौरान इन बातों का रखें ख्याल

ओम आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:।

आज विश्वकर्मा पूजा है. पूजा के समय रुद्राक्ष की माला से विश्वकर्मा पूजा मंत्र का जाप करें, जाप के समय इस बात का ध्यान रखें कि मंत्र का उच्चारण सही हो. गलत उच्चारण करने से आपको इस पूजा का फल नहीं मिलेगा

09:59 (IST)16 Sep 2020
इनकी पूजा है जरूरी...

विश्वकर्मा पूजा आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को की जाती है. मान्यताएं हैं कि इसी दिन भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान विश्वकर्मा के साथ ही कारखानों और फैक्ट्रियों में औजारों की पूजा की जाती है।

09:16 (IST)16 Sep 2020
ऐसे होती है विशेष फल की प्राप्ति

उद्योग जगत के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उनकी विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल की प्राप्‍त‍ि होती है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा खुश होते हैं, तो व्‍यवसाय में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की होती है

08:47 (IST)16 Sep 2020
गाड़ियों की भी करें सफाई

विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने बिजली उपकरण, गाड़ी की सफाई भी करें। विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत होती है।

08:15 (IST)16 Sep 2020
कारोबार में तरक्की की है मान्यता...

इस मौके पर धन-धान्य और सुख-समृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा के साथ कारखानों और ऑफिस आदि में मशीनों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि विश्वकर्मा जयंती पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से करोबार या बिजनेस में तरक्‍की होती है।

07:38 (IST)16 Sep 2020
ये है नियम...

विश्वकर्मा पूजा करने वाले सभी लोगों को इस दिन अपने कारखाने, फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए। 

07:08 (IST)16 Sep 2020
इस दिन करें इन मंत्रों का उच्चारण

ओम आधार शक्तपे नम:।

ओम् कूमयि नम:।

ओम अनन्तम नम:।

पृथिव्यै नम: मंत्र।

06:03 (IST)16 Sep 2020
जो भी नाम लेता है विश्वकर्मा का उसे कुछ न कुछ जरूर मिलता है

विश्वकर्मा की ज्योत से नूर मिलता है
सबके दिलों को शरूर मिलता है
जो भी नाम लेता है विश्वकर्मा का
उसे कुछ न कुछ जरूर मिलता है
हैप्पी विश्वकर्मा पूजा

05:22 (IST)16 Sep 2020
सदा वशो प्रभु मन में हमारा


विश्वा विश्वकर्मा प्रभु मेरा,
हों प्रसन्न हम बालक तेरा
तू सदा इष्टदेव हमारा
सदा वशो प्रभु मन में हमारा
हैप्पी विश्वकर्मा पूजा

03:58 (IST)16 Sep 2020
बिना विश्वकर्मा के पूजन के तकनीकी कार्य शुभ नहीं होता

वैदिक देवता के रूप में सर्वमान्य देव शिल्पी विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान-विज्ञान के कारण मानव ही नहीं, देवगणों द्वारा भी पूजित हैं। कहते हैं देव विश्वकर्मा के पूजन के बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं होता।

03:15 (IST)16 Sep 2020
कलाकार, शिल्पकार और व्यापारियों के लिए शुभ है पूजा

इस दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से आपके कोराबार में वृद्धि होगी साथ ही सुख और शांति रहेगी। विश्वकर्मा पूजा उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो कलाकार, शिल्पकार और व्यापारी है।

02:26 (IST)16 Sep 2020
युगों से भगवान विश्वकर्मा को गुरु मानते है वास्तुकार

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें 'वज्र' भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार था। वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा को अपना गुरु मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे हैं।

00:35 (IST)16 Sep 2020
सर्वमान्य देव शिल्पी विश्वकर्मा

वैदिक देवता के रूप में सर्वमान्य देव शिल्पी विश्वकर्मा अपने विशिष्ट ज्ञान-विज्ञान के कारण मानव ही नहीं, देवगणों द्वारा भी पूजित हैं। कहते हैं देव विश्वकर्मा के पूजन के बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं होता।

21:52 (IST)15 Sep 2020
ब्रह्माण्ड के रचियता हैं विश्वकर्मा जी...

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें 'वज्र' भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार था। वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा को अपना गुरु मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे हैं।

21:35 (IST)15 Sep 2020
इन राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा पर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, दिल्ली आदि राज्यों में भगवान की मूर्ति स्थापित की जाती है और उनकी आराधना की जाती है

21:15 (IST)15 Sep 2020
विश्वकर्मा जी के जन्म को लेकर ये हैं मान्यताएं

भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। वराह पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने विश्वकर्मा को धरती पर उत्पन्न किया। वहीं विश्वकर्मा  पुुराण के अनुसार, आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की।

20:45 (IST)15 Sep 2020
Vishwakarma Puja Shubh Muhurat: ये है विश्वकर्मा पूजा का अति उत्तम मुहूर्त...

16 सितंबर को सुबह 06 बजकर 53 मिनट पर कन्या संक्रांति का क्षण है। इस समय पर सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। कन्या संक्रांति के साथ ही विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त है। पूजा के समय राहुकाल का ध्यान रखना होता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन राहुकाल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 01 बजकर 53 मिनट तक है। इस समय काल में पूजा न करें।

20:15 (IST)15 Sep 2020
कहा जाता है वास्तु शिल्प के जनक

हर साल 17 सितंबर को तकनीकी ज्ञान के रचनाकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। इनको देवताओं के वास्तुशिल्प का जनक भी माना जाता है, इसलिए शिल्पकला से जुड़े लोग उनकी जयंती को विधि-विधान से मनाते हैं।