महाभारत काल के प्रसिद्ध महात्मा विदुर की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक मानी जाती है। विदुर जी अपने तेज बुद्धि और दूरदर्शिता को लेकर काफी प्रसिद्ध थे। महात्मा विदुर भी धृतराष्ट्र और पांडु की तरह ही ऋषि वेदव्यास के पुत्र थे, हालांकि इनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। इसलिए सभी गुण होने के बाावजूद भी यह राजा नहीं बन पाए थे। हालांकि महात्मा विदुर हस्तिनापुर के महामंत्री थे। राजा धृतराष्ट्र लगभग सभी विषयों पर महात्मा विदुर की राय लेते थे।

महाभारत युद्ध से पहले महात्मा विदुर और धृतराष्ट्र के बीच जो भी बातें हुई थीं, उन्हें विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की जो व्यक्ति महात्मा विदुर द्वारा सुझाई गई नीतियों का अनुसरण करता है, उसे जीवन में आसानी से सफलता प्राप्ति हो जाती है। विदुर जी ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य में मौजूद कुछ ऐसी खामियों का जिक्र किया है, जिसके कारण वह कभी भी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं करता। ये कमियां सफलता प्राप्ति के मार्ग में हमेशा रोड़ा बनकर अटक जाती हैं। ऐसे में लोगों को अपनी इन आदतों को जरूर सुधार लेना चाहिए।

आलस्य: महात्मा विदुर के अनुसार जो व्यक्ति आलस्य करता है, वह कभी भी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता। क्योंकि ऐसे लोग अक्सर महत्वपूर्ण कामों को भी भविष्य पर टाल देते हैं, जिसके कारण वह खुद का ही नुकसान कर बैठते हैं। इसलिए विदुर जी ने आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताया है।

हमेशा भगवान पर निर्भर रहने वाला: विदुर जी मानते थे की जो व्यक्ति खुद की मदद करता है, भगवान भी उसकी ही मदद करते हैं। हालांकि कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो केवल ईश्वर के ही भरोसे बैठे रहते हैं। ऐसे लोग हमेशा आर्थिक तंगी से जूझते हैं। इसलिए भगवान में तो विश्वास होना चाहिए लेकिन साथ ही मनुष्य को अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिए मेहनत भी करनी चाहिए।

अधिक की चाहत रखने वाला: महात्मा विदुर के अनुसार जो लोग कम मेहनत में ही अधिक सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, वह कभी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाते। जो लोग हमेशा कड़ी मेहनत से जी चुराते हैं, उन पर मां लक्ष्मी की कृपा कभी नहीं होती। इसलिए मनुष्य को हमेशा मेहनत करनी चाहिए।