Surya Grahan Kab Hai: वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है और सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को पड़ रही है। आपको बता दें कि पितृ अमावस्या के दिन अंतिम श्राद्ध पड़ता है। साथ ही इस दिन उन लोगों का श्राद्ध पड़ता है। जिन लोगों की मत्यु तिथियां याद नहीं है। या फिर उनकी अकाल मृत्यु हुई। वहीं दिन पितृ दोष शांति भी कराई जाती है। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। लेकिन इस दिन साल का दूसरा और अंतिम ग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण 14 अक्टूबर की रात 8 बजकर 33 मिनट से आरंभ होगा और मध्य रात्रि 2 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। वैदिक ज्योतिष अनुसार यह ग्रहण कंकणाकृती सूर्यग्रहण है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं। कि इस दिन श्राद्ध करना शुभ रहेगा या अशुभ और किस विधि से श्राद्ध किया जाए। आइए जानते हैं…
कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में लगेगा सूर्य ग्रहण
वैदिक ज्योतिष अनुसार सूर्य ग्रहण कन्या राशि और चित्र नक्षत्र में लग रहा है। आपको बता दें कि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए यह मान्य भी नहीं होगा और न ही सूतक काल मान्य होंगे।
ग्रहण के समय श्राद्ध कर्म
आमतौर पर लोगों की यह धारणा होती है कि सूतक काल और ग्रहण के समय कोई भी कार्य नहीं किया जाता है। लेकिन हम आपको बता दें कि सूतक काल या ग्रहण के समय श्राद्ध कर्म करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इसलिए जो लोग इस दिन श्राद्ध, तर्पण और ब्राह्मण भोज कराते हैं तो उनको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही उनके ऊपर देवी- देवताओं की कृपा रहती है। इसलिए सूतक काल या ग्रहण के समय श्राद्ध करने से कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।
इन जगह दिखाई देगा सूर्यग्रहण
वैदिक ज्योतिष मुताबिक जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण पड़ता है, तो ये जरूरी नहीं है कि उसका असर पूरी पृथ्वी पर पड़े। इसलिए इस साल का दूसरा सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका के क्षेत्रों को छोड़कर उत्तरी अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना, कोलंबिया, क्यूबा, बारबाडोस, पेरु, उरुग्वे, एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका, हैती, पराग्वे, ब्राजील, डोमिनिका, बहामास, आदि जगहों पर दिखाई देगा। वहीं आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण तब पड़ता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तब चांद के पीछे सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए पूरी तरह से ढक जाता है।