Pradosh Vrat Shubh Muhurt: प्रदोष व्रत का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। साथ ही आपको बता दें कि हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस महीना का पहला प्रदोष व्रत 7 अक्टूबर शुक्रवार को पड़ रहा है। शुक्रवार का प्रदोष व्रत धन, यश और समृद्धि देने वाला होता है। शुक्रवार को पड़ने वाले व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहते हैं। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा शाम को की जाती है। आइए जानते हैं शुक्र प्रदोष व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि…

प्रदोष व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत 7 अक्टूबर, शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 25 मिनट पर से शुरू होकर 08 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 05 बजकर 25 मिनट तक रहेगा। वहीं प्रदोष व्रत में शाम को पूजा करने का विधान है। इसलिए प्रदोष व्रत 7 अक्टूबर को रखा जाएगा। वहीं प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का समय शाम को 06 बजे से शुरू होकर रात 08 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।

प्रदोष व्रत पूजा- विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और फिर स्नान करके साफ सुथरे कपड़े पहन लें। अगर वस्त्र सफेद या गुलाबी कलर के हो तो बहुत शुभ रहेगा। वहीं शुक्र प्रदोष व्रत का संकल्प लें। साथ ही जो घर पर शिवलिंग हैं, उनको पूजा स्थल पर रखी चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद  बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें। प्रदोष व्रत में शाम तक उपवास रखा जाता है। केवल आप जल ग्रहण कर सकते हैं।

वहीं शाम को प्रदोष काल में उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाएं। उसके बाद भोलेनाथ को जल से स्न्नान कराकर रोली, मोली, चावल, धूप, दीप से पूजा करें। इसके बाद ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के जाप से सभी मनोकानाएं पूर्ण हो सकती हैं।

शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से भौतिक सुख, धन और वैभव की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से 5 गायों के दान जितना फल व्यक्ति को प्राप्त होता है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है।