Shani Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat and Puja Vidhi: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और व्रत-त्योहार का विशेष महत्व होता है। इन्हीं में से एक प्रदोष व्रत है, जो हर माह दो बार आता है। पंचांग के अनुसार, यह व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। यह तिथि भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा करने और व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है। बता दें इस माह का पहला प्रदोष व्रत कल यानी 4 अक्टूबर 2025, शनिवार को रखा जा रहा है। जब प्रदोष व्रत शनिवार को पड़ता है तो इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव और शनिदेव दोनों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन से शनि दोष और कई तरह की बाधाएं दूर होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की तिथि,शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, आरती, सामग्री और धार्मिक महत्व…

शनि प्रदोष व्रत 2025 की तिथि और मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

द्रिक पंचांग के अनुसार, अश्विन माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि 04 अक्टूबर 2025, शनिवार को पड़ रही है। यह तिथि 4 अक्टूबर की शाम 05 बजकर 09 मिनट से शुरू होकर 5 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर यह व्रत 4 अक्टूबर को ही रखा जाएगा। वहीं, इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ मुहूर्त शाम यानी प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 06 बजकर 03 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।

शनि प्रदोष व्रत 2025 शुभ योग (Shani Pradosh Vrat 2025 Shubh Yoga)

इस प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, आश्विन मास की त्रयोदशी तिथि पर द्विपुष्कर योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही धनिष्ठा नक्षत्र का प्रभाव भी रहेगा। ऐसे में इन योगों में भगवान शिव की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और साधक को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

शनि प्रदोष व्रत 2025 पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। घर के मंदिर की सफाई कर भगवान शिव परिवार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। घी का दीपक जलाएं और फल, फूल, धूप-दीप अर्पित करें। इसके बाद शिव मंत्रों का जाप करें और आरती उतारें। प्रदोष काल में दोबारा स्नान कर शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, शहद, गन्ना आदि अर्पित करें। शनि प्रदोष व्रत की कथा सुनें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में क्षमा-याचना करना न भूलें। इसके बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनिदेव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

शनि प्रदोष व्रत 2025 पूजन सामग्री (Shani Pradosh Vrat 2025 Pujan Samagri)

शनि त्रयोदशी की पूजा में कुछ विशेष सामग्री का होना जरूरी है। इनमें गंगाजल, दही, घी, शहद, इत्र, रोली, मौली, मिट्टी का दीपक, बेर, धतूरा, मिठाई, तुलसी, कपूर, काले तिल, चंदन, रूई, फूल और श्रृंगार का सामान शामिल करना चाहिए। इन सामग्रियों से की गई पूजा शीघ्र फलदायी मानी जाती है।

शनि त्रयोदशी व्रत महत्व (Shani Pradosh Vrat 2025 Importance)

धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी व्रत करने से जीवन से चंद्र दोष और शनि दोष दूर होते हैं। साथ ही यह व्रत करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। माना जाता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करने से नौकरी में पदोन्नति, दीर्घायु, शनि की कृपा मिलती है। साथ ही, भगवान शिव निसंतान दंपतियों को संतान का आशीर्वाद भी देते हैं।

शिव जी के इन मंत्रों का करें जाप (Pradosh Vrat 2025 Shiv Mantra)

ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

भगवान शिव की आरती (Shiv Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi)

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।

ॐ जय शिव ओंकारा
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा।

यह भी पढ़ें:

मेष राशि का 2025 से 2030 का वर्षफलवृष राशि का 2025 से 2030 का वर्षफल
मिथुन राशि का 2025 से 2030 का वर्षफलकर्क राशि का 2025 से 2030 का वर्षफल
सिंह राशि का 2025 से 2030 का वर्षफलकन्या राशि का 2025 से 2030 का वर्षफल
तुला राशि का 2025 से 2030 का वर्षफलवृश्चिक राशि का 2025 से 2030 का वर्षफल
धनु राशि का 2025 से 2030 का वर्षफलमकर राशि का 2025 से 2030 का वर्षफल
कुंभ राशि का 2025 से 2030 का वर्षफलमीन राशि का 2025 से 2030 का वर्षफल

धर्म संबंधित अन्य खबरों के लिए क्लिक करें

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें