Hinglaj Mata Temple In Pakistan: देश में इन दिनों नवरात्री का जश्न मनाया जा रहा है। पूरे भारत में मंदिरों के कपाट भक्तों के लिए खुले हैं और गरबा डांस का आयोजन भी हो रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी एक ऐसा मंदिर है, जो सिर्फ हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि मुस्लिमों के लिए भी खास माना जाता है? दरअसल, यह मंदिर है हिंगलाज माता मंदिर, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासबेला जिले में स्थित है। आपको बता दें कि यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्यता…
भक्तों को लेनी होती हैं दो शपथ
हिंगलाज माता मंदिर की यात्रा करना सिर्फ श्रद्धा का विषय ही नहीं, बल्कि यहां कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी है। भक्तों को मंदिर में दर्शन करने के लिए दो शपथ लेनी होती हैं। पहली शपथ के अनुसार, माता के दर्शन कर लौटने तक संन्यास धारण करना अनिवार्य है। वहीं दूसरी शपथ में कहा गया है कि यात्रा के दौरान कोई भी भक्त अपने साथ यात्रा कर रहे अन्य व्यक्ति को पानी नहीं दे सकता। ये शपथ मंदिर की पवित्रता और अनुशासन बनाए रखने के लिए ली जाती हैं।
देवी सती से जुड़ी मान्यता
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिंगलाज मंदिर का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह वही स्थान है जहां देवी सती ने अपने पिता के अपमान से दुखी होकर अग्नि में समा जाने का निर्णय लिया था। इसके बाद भगवान शिव ने सती का शव कंधे पर उठाकर पूरे ब्रह्मांड में क्रोध में नृत्य किया। उनकी भयंकर क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। जिन स्थानों पर ये टुकड़े गिरे, उन्हें शक्तिपीठ कहा जाता है। हिंगलाज मंदिर में देवी सती का सिर गिरा था, इसलिए इसे एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ माना जाता है।
हिंगलाज मंदिर और मुस्लिमों की आस्था
हिंगलाज मंदिर सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के मुस्लिमों के लिए भी खास है। स्थानीय मुस्लिम इसे ‘बीबी नानी पीर’ या ‘नानी का हज’ कहते हैं। नवरात्रि और अन्य अवसरों पर हिन्दू और मुस्लिम भक्त एक साथ मंदिर में खड़े होकर पूजा-अर्चना करते हैं। मुस्लिम समुदाय मंदिर की सुरक्षा में भी सहयोग करता है और इस पवित्र स्थल का सम्मान करता है।
मंदिर से जुड़ी विशेष बातें
हिंगलाज माता मंदिर बलूचिस्तान के हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। यह मकरान रेगिस्तान के खेरथार पहाड़ों की श्रृंखला में बना एक छोटा प्राकृतिक गुफा मंदिर है। मंदिर में देवी की कोई मानव निर्मित मूर्ति नहीं है। यहां केवल एक छोटी शिला को हिंगलाज माता के रूप में पूजा जाता है। मंदिर की पवित्रता और प्राकृतिक सुंदरता इसे श्रद्धालुओं के लिए एक अनोखा अनुभव बनाती है।
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