Sarva Pitru Amavasya: पितृ पक्ष में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर वर्ष सर्व पितृ अमावस्या आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इसे आश्विन अमावस्या मोक्षदायिनी और महालया अमावस्या भी कहते हैं। जो इस साल 14 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि पता नहीं है। साथ ही इस दिन श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, चीटियों और देवों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए। फिर किसी ब्राह्मण कराना चाहिए। आइए जानते हैं ये पितृ पक्ष अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त और महत्व…
सर्व पितृ अमावस्या तिथि 2023 (Sarva Pitru Amavasya 2023 Tithi)
पंचांग के मुताबिक इस साल आश्विन कृष्ण अमावस्या की तिथि 13 अक्टूबर को रात 09 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और इस तिथि की समाप्ति 14 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगी। वहीं उदयातिथि के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या 14 को मनाई जाएगी।
इस दिन श्राद्ध करने का समय
पंचांग के अनुसार पितृ अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध सबह 11 बजकर 44 से शुरू हो रहा है, जो दोपहर 3 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। वहीं कुतुप- रोहिना मुहूर्त का समय ये है…
कुतुप मुहूर्त का समय- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रहा है, जो 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा।
रोहिना मुहूर्त का समय- दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर 01 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
पितृ अमावस्या का महत्व
इस दिन गंगा स्नान करना चाहिए। साथ ही सबसे पहले सूर्य देव को जल दें। क्योंकि सूर्य देव क पितृ माना जाता है। वहीं इस दिन सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। साथ ही इसके बाद पितरों का कुशा लेकर तर्पण करें। इसके लिए तांबे के लौटे में गंगा जल भरें। उसमें काले तिल, कच्चा दूध और कुश डालकर तर्पण करें। वहीं इस समय मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। वहीं तर्पण करते समय इस मंत्र का जाप जरूर करें- ऊं पितृ गणाय: विधमहे जगधारणीय धी महे तनो पितरों प्रचो दयात। वहीं हाथ जोड़कर पितृदेव से क्षमा मांगे। साथ ही फिर ब्राह्मण भोज कराएं और दान- दक्षिणा दें। शास्त्रों के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करता है। उसको प्रसन्न होकर पितृ सुख- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।