हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती पूजा मनाई जाती है। ज्यादातर जगहों पर इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन से ही बसंत मौसम का आगमन होता है। इस दिन विद्यादात्री मां सरस्वती की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि बांग्लादेश व नेपाल में भी इस त्योहार को मनाने की परंपरा है। मां सरस्वती के साथ इस दिन महादेव, श्रीहरि विष्णु और भगवान गणेश की भी पूजा होती है। इस दिन लोग पीले कपड़े पहनते हैं और देवी सरस्वती को मीठी बूंदी या फिर पीले चावल का भोग लगाते हैं।
Maa Saraswati Ji Ki Aarti: यहां पढ़े सरस्वती जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी
देवी सरस्वती चालीसा:
॥दोहा॥
जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि। बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥
॥चालीसा॥
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥जय जय जय वीणाकर धारी।करती सदा सुहंस सवारी॥1
रूप चतुर्भुज धारी माता।सकल विश्व अन्दर विख्याता॥जग में पाप बुद्धि जब होती।तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥2
तब ही मातु का निज अवतारी।पाप हीन करती महतारी॥वाल्मीकिजी थे हत्यारा।तव प्रसाद जानै संसारा॥3
रामचरित जो रचे बनाई।आदि कवि की पदवी पाई॥कालिदास जो भये विख्याता।तेरी कृपा दृष्टि से माता॥4
तुलसी सूर आदि विद्वाना।भये और जो ज्ञानी नाना॥तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।केव कृपा आपकी अम्बा॥5
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।दुखित दीन निज दासहि जानी॥पुत्र करहिं अपराध बहूता।तेहि न धरई चित माता॥6
राखु लाज जननि अब मेरी।विनय करउं भांति बहु तेरी॥मैं अनाथ तेरी अवलंबा।कृपा करउ जय जय जगदंबा॥7
मधुकैटभ जो अति बलवाना।बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥समर हजार पाँच में घोरा।फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥8
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥9
चंड मुण्ड जो थे विख्याता।क्षण महु संहारे उन माता॥रक्त बीज से समरथ पापी।सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥10
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।बारबार बिन वउं जगदंबा॥जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥11
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।रामचन्द्र बनवास कराई॥एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥12
को समरथ तव यश गुन गाना।निगम अनादि अनंत बखाना॥विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥13
रक्त दन्तिका और शताक्षी।नाम अपार है दानव भक्षी॥दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥14
दुर्ग आदि हरनी तू माता।कृपा करहु जब जब सुखदाता॥नृप कोपित को मारन चाहे।कानन में घेरे मृग नाहे॥15
सागर मध्य पोत के भंजे।अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥भूत प्रेत बाधा या दुःख में।हो दरिद्र अथवा संकट में॥16
नाम जपे मंगल सब होई।संशय इसमें करई न कोई॥पुत्रहीन जो आतुर भाई।सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥17
करै पाठ नित यह चालीसा।होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।संकट रहित अवश्य हो जावै॥18
भक्ति मातु की करैं हमेशा। निकट न आवै ताहि कलेशा॥बंदी पाठ करें सत बारा। बंदी पाश दूर हो सारा॥19
रामसागर बाँधि हेतु भवानी।कीजै कृपा दास निज जानी।20
॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप। डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु। राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥
मां सरस्वती के मंत्र:
‘ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।’
‘ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।’
‘शारदा शारदाभौम्वदना। वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रिया तू।’
‘श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।’
‘ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।’
1. सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा
2. या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
3. नमस्ते शारदे देवी, सरस्वती मतिप्रदे
वसत्वम् मम जिव्हाग्रे, सर्वविद्याप्रदाभव
नमस्ते शारदे देवी, वीणापुस्तकधारिणी
विद्यारंभम् करिष्यामि, प्रसन्ना भव सर्वदा
हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त 16 फरवरी 2021, शुक्रवार को सुबह 3 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इसी समय से पंचमी तिथि आरंभ होगी। साथ ही, 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर पंचमी तिथि समाप्त हो जाएगी।
देवी सरस्वती हिन्दू धर्म की प्रमुख देवी है, जिसे ज्ञान और विद्या की देवी माना गया है। वाग्देवी, भारती, शारदा आदि नामों से पूजित इस देवी के बारे में यह कहा जाता है, ये मूर्ख व्यक्ति को भी विद्वान बना सकती हैं। मां सरस्वती के इन 12 नामों का उच्चारण अति शुभ फलदायी है।
इस पर्व पर बन रहे शुभ संयोग में देवी सरस्वती की पूजा करना शुभ रहेगा वहीं खरीदी, स्कूल, कोचिंग क्लास, नई दुकान और शोरूम की शुरुआत पर पूजा और मांगलिक काम भी किए जा सकते हैं।
इस दिन शुभ्रवसना, वीणावादिनी, मंद-मंद मुस्कुराती हंस पर विराजमान मां सरस्वती मानव जीवन में अज्ञान रूप जड़ता को दूर कर ज्ञान के प्रकाश से आलौकित करती हैं।
इसमें विवाह, निर्माण और अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं. ऋतुओं के इस संधिकाल में ज्ञान और विज्ञान दोनों का वरदान मिलता है. संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी इस काल में लिया जा सकता है.
श्रद्धालु स्नान करने के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं. अपने ठीक सामने पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वति की मूर्ति को उस पर स्थापित करें. जिसके बाद रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का प्रसाद मां के सामने अर्पित कर ध्यान में बैठ जाएं. मां सरस्वती के पैरों में श्वेत चंदन लगाएं. पीले और सफेद फूल दाएं हाथ से उनके चरणों में अर्पित करें और ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजन करके उससे छुटकारा पाया जा सकता है
बसंत पंचमी को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती (Saraswati puja) की पूजा की जाती है. पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन तुम्हारी आराधना की जाएगी।
इस बार बसंत पंचमी के मौके पर रवि योग और अमृत सिद्धि योग का खास संयोग बन रहा है
ये पर्व बसंत मौसम की शुरुआत का सूचक है, पूरे दिन अबूझ मुहूर्त रहेगा। इसका अर्थ है कि बसंत पंचमी का दिन बेहद शुभ होता है और इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस दिन लोग बगैर पंचांग देखे दिन भर में कभी भी अपने कार्य को पूरा कर सकते हैं। वहीं, कई लोग इस दिन परिवार में छोटे बच्चों को पहली बार किताब और कलम पकड़ाने का भी विधान है।
बच्चों की शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरुआत के लिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है
हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त 16 फरवरी 2021, शुक्रवार को सुबह 3 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इससी समय से पंचमी तिथि आरंभ होगी। साथ ही, 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर पंचमी तिथि समाप्त हो जाएगी।