इस्लाम धर्म में रमजान का महीना बेहद ही पवित्र माना जाता है। इस महीने मुस्लिम लोग रोजा रखते हैं और ज्यादा से ज्यादा समय खुदा की इबादत करने में बिताते हैं। इस खास मौके पर दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने का भी रिवाज होता है। ये इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना होता है। रमजान का महीना कभी 29 दिन तो कभी 30 दिन का होता है। इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं।
कैसे निर्धारित होती है रमजान की तारीख? मुसलमान चंद्र कैलेंडर यानी लूनर कैलेंडर को मानते हैं। इस कैलेंडर में चंद्रमा के अलग-अलग रूपों में दिखने के मुताबिक ही रमजान की तारीख निर्धारित होती है। दुनिया में कई मुस्लिम देश सऊदी अरब की तय की हुई तारीख पर ही रमजान के महीने की शुरुआत मानते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से भारत मे सऊदी अरब के एक दिन बाद चांद नजर आता है। जिस दिन चांद दिखाई देता है उसके अगले दिन से रमजान महीने की शुरुआत हो जाती है। जानिये सहरी और इफ्तार का सही समय
रमजान क्या है? रमजान को रमदान भी कहते हैं। रमजान के महीने में रोजे रखने, रात में तरावीह की नमाज पढने और कुरान तिलावत करना शामिल है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस पूरे महीने रोजा रखते हैं और सूरज निकलने से लेकर डूबने तक कुछ भी नहीं खाते पीते हैं। रमजान के महीने में मुस्लिम लोग खुद को खुदा की इबादत में समर्पित कर देते हैं। रमजान में रोजे की शुरुआत करने से पहले सूर्योदय से पहले कुछ खा लिया जाता है जिसे सहरी कहते हैं और सूरज ढलने के बाद रोजा खोला जाता है जिसे इफ्तारी कहा जाता है। इस बीच पूरे दिन न तो अन्न खाया जाता है और न ही पानी पिया जाता है। हर मुसलमान को दिन में पांच बार नमाज करना आवश्यक होता है।
जकात क्यों जरूरी है? इस्लाम धर्म में दान की बड़ी अहमियत होती है। रमजान में नमाज के अलावा जकात को भी अहम माना जाता है। कहा जाता है कि हर मुसलमान को अपने कमाये गये धन में से जकात देना जरूरी है। इस पाक महीने में जरूरतमंदों की मदद करना काफी अच्छा माना जाता है।
भारत में पहले रोजे का समय: अगर भारत में रमजान 14 अप्रैल से शुरू होते हैं तो पहला रोजा 14 घंटा 8 मिनट की अवधि का होगा। ये इस पाक महीने का सबसे छोटा रोजा बताया जा रहा है। वहीं आखिरी रोजा 14 घंटा 52 मिनट का होगा और ये सबसे बड़ा रोजा माना जा रहा है। 14 अप्रैल को सहरी का समय 4:13 बजे तो इफ्तार का समय शाम 6 : 21 बजे है।