Ramayana Panchavati: पीएम मोदी ने आज से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिनों का अनुष्ठान आरंभ किया है। पीएम मोदी ने इस अनुष्ठान का आरंभ नासिक के पंचवटी से किया है। बता दें कि ये जगह भी श्री राम से संबंधित है। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड के अलावा रामचरितमानस, रामचन्द्रिका, साकेत, पंचवटी, साकेत-संत आदि काव्यों में पंचवटी के बारे में विस्तार से बताया गया है। बता दें कि जब भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास में थे, तो उन्होंने कुछ समय पंचवटी में भी बिताया था। वह यहां पर कुटिया बनाकर रहे थे। इतना ही नहीं यहीं से लंकापति रावण ने माता सीता का हरण किया था। इसके साथ ही लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक और कान काटे थे। जानें पंचवटी के बारे में खास बातें।

श्री लक्ष्मण ने सुझाया था पंचवटी का नाम

श्री रामचरित मानस के अरण्यकाण्ड में कुछ दोहे दिए गए है जिसमें पंचवटी के बारे में काफी कुछ कहा गया है। यहां पर श्री राम और लक्ष्मण के कुछ संवाद है…

है प्रभु परम मनोहर ठाऊँ। पावन पंचबटी तेहि नाऊँ॥
दंडक बन पुनीत प्रभु करहू। उग्र साप मुनिबर कर हरहू॥8॥

हे प्रभु, एक परम मनोहर और पवित्र स्थान है। उसका नाम पंचवटी है। आप दण्डक वन को पवित्र कीजिए और श्रेष्ठ मुनि गौतम जी को कठोर शाम से मुक्त कीजिए।

बास करहु तहँ रघुकुल राया। कीजे सकल मुनिन्ह पर दाया॥
चले राम मुनि आयसु पाई। तुरतहिं पंचबटी निअराई॥9

लक्ष्मण आगे कहते हैं कि हे रघुकुल के स्वामी! आप मुनियों पर अपनी कृपा बरसाकर वहीं पर निवास करें। इसके बाद मुनि की आज्ञा पाकर श्री राम पंचवटी के लिए चल दिए थे।

श्री राम से गोदावरी के निकट बनाई कुटिया

दोहा

गीधराज सै भेंट भइ बहु बिधि प्रीति बढ़ाइ।
गोदावरी निकट प्रभु रहे परन गृह छाइ॥13॥

पंचवटी में श्री राम की गृध्र राज जटायु से भेंट हुई। उनके साथ अपनी वार्ता औ प्रेम बढ़ाकर श्री रामचंद्रजी गोदावरी नदी के समीप पर्णकुटी छाकर रहने लगे।

पंचवटी में ही लक्ष्मण जी ने कांटी थी शूर्पणखा का नाक

सूपनखा रावन कै बहिनी। दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥
पंचबटी सो गइ एक बारा। देखि बिकल भइ जुगल कुमारा॥2॥

रावण की शूर्पणखा नाम की बहन थी, जो नागिन के समान भयानक और दुष्ट हृदय की थी। वह पंचवटी गई थी और राजकुमारों को देखकर विकल हो गई थी।

रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई। बोली बचन बहुत मुसुकाई॥
तुम्ह सम पुरुष न मो सम नारी। यह सँजोग बिधि रचा बिचारी॥4॥

राजकुमारों को देखकर उसने सुंदर से रूप धर लिया और प्रभु श्री राम के पास जाकर बोली – न तो तुम्हारे समान कोई पुरुष है, न मेरे समान स्त्री। विधाता ने यह संयोग (जोड़ा) बहुत विचार कर रचा है।

प्रभु श्री राम से माता सीता की ओर देखकर कहा कि वह मेरा भाई लक्ष्मण खड़ा है। तो फिर वह लक्ष्मण के पास गई , तो उन्होंने भी मना कर दिया था। इसके बाद शूर्पणखा अपने भयानक रूप में आ गए, तो लक्ष्मण ने अपनी फुर्ती ने उसके नाक और कान काट दिया था।

यहीं पर हुआ था माता सीता का हरण

जहां पर श्री राम कुटिया बनाकर रह थे। उसी के बाहर से रावण ने माता सीता का हरण किया था। पंचवटी में पांच बरगद के पेड़ है, जो आसपास है। इसी के कारण इसे पंचवटी कहा गया। इस वृक्षों का नाम क्रमश:अश्वत्थ, आमलक, वट, विल्ब और अशोक है।

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