Pukhraj Gemstone Benefits: वैदिक ज्योतिष में गुरु को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक माना जाता है। वहीं ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होते हैं। साथ ही पुखराज रत्न का संबंध गुरु ग्रह से माना जाता है। पुखराज पहनने से ऐश्वर्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति की समाज में मान- प्रतिष्ठा बढ़ती है। वहीं धन आगमन के नए मार्ग बनते हैं। वहीं व्यक्ति की सोच सकारात्मक होती है। आइए जानते हैं पुखराज पहनने के लाभ और इसको धारण करने की विधि…

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जानिए कैसा होता है पुखराज

बाजार में सीलोनी पुखराज सबसे अच्छी क्वालिटी का मिलता है। लेकिन ये थोड़ा मंहगा मिलता है। वहीं आपको बता दें कि पुखराज को अंग्रेजी में यलोसफायर कहते हैं। वहीं पुखराज हल्के पीले और डार्क पीले दोनों रंग में आता है। बैंकॉक का पुखराज सस्ता मिलता है।

पुखराज धारण करने से धन- समृद्धि की होती है प्राप्ति

पुखराज धारण करने से व्यक्ति को समाज में मान- सम्मान की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति की झुकाव आध्यात्म की ओर जाता है। वहीं पुखराज धारण करने से करियर और कारोबार में उन्नति मिलती है। साथ ही जो लोग ज्योतिष, आध्यात्म या शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, वो लोग पुखराज धारण कर सकते हैं। पुखराज धारण करने से व्‍यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है और उसके लिए करियर में सफलता के नए रास्‍ते खुलने लगते हैं। 

इन राशियों के लोग पहन सकते हैं पुखराज

वैदिक ज्योतिष अनुसार धनु और मीन राशि के स्‍वामी गुरु होते हैं, इसलिए इन दो राशियों के लोग इस रत्‍न को धारण कर सकते हैं। इन दोनों ही राशियों के लोग स्‍वभाव से बहुत मेहनती और साहसी होते हैं। वहीं  जन्मकुंडली में गुरु ग्रह उच्च के या शुभ स्थित हों वो लोग पुखराज पहन सकते हैं। तुला लग्न वाले जातक पुखराज पहन सकते हैं, क्योंकि गुरु आपके पंचम स्थान के स्वामी होते हैं। वहीं अगर आप पुखराज पहनते हैं तो फिर आपको हीरा नहीं पहनना चाहिए। साथ ही अगर कुंडली में गुरु ग्रह नीच का है तो पुखराज नहीं धारण करना चाहिए।

इस विधि से धारण करें पुखराज

रत्न शास्त्र अनुसार पुखराज कम से कम 5 या फिर 7 कैरेट का पहनना चाहिए। इसे सोने की अंगूठी में पहनना चाहिए। पुखराज को गुरुवार को धारण करना सबसे शुभ होता है। वहीं पुखराज अंगूठी को दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में पहनें और गुरु के बीज मंत्र का जप करते हुए इसे धारण करना चाहिए।

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