Shri Hit Premanand Govind Sharan Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज वृंदावन में केलीकुंज नाम के स्थान पर रहते हैं। साथ ही वह राधा रानी को अपना इष्ट मानते हैं। वहीं आपको बता दें कि स्वामी प्रेमानंद महाराज उम्रदराज लोगों के साथ यूथ के आइकन हो गए हैं। क्योंकि वह भक्तों के प्रश्न तर्क के साथ देते हैं। साथ ही सत्संग के माध्यम से लोगों को सही दिशा दिखाते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। साथ ही उनके वीडियो सोशल मीडिया पर छाये रहते हैं। वहीं उनके फॉलोअर्स की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। साथ ही बड़ी संख्या में लोग महाराज जी के दर्शन करने वृंदावन भी आ रहे हैं। साथ ही इसमें विदेशी भक्त भी हैं।
आपको बता दें कि प्रेमानंद महाराज जी की बातें सरल और साफ भाषा में होती हैं। वहीं महाराज जी से कई बड़ी हस्तियां भेंट कर चुकी हैं। जिसमें भोजपुरी सुपरस्टार रविकिशन, रेसलर द ग्रेट खली, क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा का नाम शामिल है। साथ ही अभी थोड़े दिन पहले अभिनेता आशुतोष राणा ने भी महाराज जी के साथ भेंट की थी। साथ ही महाराज जी के साथ भगवत चर्चा भी की थी।
आपको बता दें कि प्रेमानंद महराज जी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक भक्त उनसे पूछ रहा है कि पितृपक्ष में नई चीजों की खरीददारी क्यों नहीं करनी चाहिए। जिस पर प्रेमानंद महाराज जी उत्तर देते हैं कि श्राद्ध पक्ष में नई वस्तुओं को खरीदने और उनका उपभोग करने से हमारा ध्यान पितरों से भटक जाता है और इस वजह से पितरों की आत्मा को कष्ट होता है।
साथ ही स्वामी प्रेमानंद महाराज जी ने आगे कहा कि पितृपक्ष में खरीदी गई वस्तुएं पितरों को समर्पित होती हैं। इसलिए उन वस्तुओं में प्रेतों का अंश होता है और इन वस्तुओं को जीवित लोगों के लिए उपयोग करना सही नहीं होता है। इसी कारण से शादी विवाह से जुड़े लोग, जौहरी, कार बाजार, निर्माण कारोबार आदि में सब लोग अक्सर खाली बैठे दिखाई देते हैं। साथ ही बाजार ठप्प रहता है।
जानिए कौन हैं संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज
प्रेमानंद गोविंद शरण जी जन्म कानपुर जिले के सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ। वहीं बताते हैं इन्होंने काफी कम उम्र में ही सन्यास ग्रहण कर लिया था। वहीं शुरू में काफी दिनों तक महाराज जी काशी में रहे थे। इनके पिता का नाम शंभू पांडेय है, माता का नाम राम देवी हैं। वहीं महाराज जी के गुरु जी का नाम श्री गौरंगी शरण जी महाराज है। प्रेमानंद महाराज कई साल काशी में भी रहे थे।

