Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन लोग भगवान शिव का की पूजा- अर्चना करते हैं और वर्त रखते हैं। वहीं  सावन का दूसरा प्रदोष व्रत मंगलवार, 09 अगस्त को पड़ रहा है। मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन मंगला गौरी का व्रत भी रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव, मंगला गौरी और बजरंगबली तीनों देवी- देवताओं की पूजा का संयोग बन रहा है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजन विधि…

जानिए शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार सावन मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 अगस्त, मंगलवार की शाम 5 बजकर 44 मिनट से लेकर अगले दिन बुधवार, 10 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 15 मिनट तक रहेगी।  भगवान शिव की पूजा- अर्चना के लिए प्रदोष का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को शाम 7 बजकर 05 मिनट से रात 9 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। आपको भोलेनाथ की आराधना के लिए 2 घंटे से भी ज्यादा का समय मिलने वाला है।

जानिए भौम प्रदोष व्रत का महत्व

भौम प्रदोष व्रत में भोलेनाथ और बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है। भोलेनाथ की पूजा से सुख- समृद्धि का वास होता है और हनुमान की उपासना से जीवन में आ रहीं जीवन की सभी परेशानियां दूर होते हैं। गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। वहीं जिन लोगों की जन्मकुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थित में विराजमान हैं, वो लोग भी भौम प्रदोष व्रत रखकर मंगल ग्रह को शांत कर सकते हैं। भौम प्रदोष का व्रत संतान प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है। साथ ही इस व्रत से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।

भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि

इस दिन शाम को स्नान करने के बाद संध्या-वंदना करें। इसके बाद भगवान शिव को ईशान कोण में स्थापित करें। साथ ही भोलेनाथ पर पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। वहीं भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय और महामृत्युजंय मंत्र का जाप करें। साथ ही इस दिन बजरंगबली की भी पूजा- पाठ करें। आ हमुमान चालीसा और सुंदरकाण्ड का पाठ भी कर सकते हैं। इस दिन आप 5 ब्राह्राणों का भोजन भी करा सकते हैं।