हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के अवतार प्रभु राम की धरती छोड़ने की कहानी हमेशा से एक रहस्य रही है। इसी रहस्य को जानने की इच्छा हर किसी को होती है कि किस तरह से भगवान राम धरती छोड़कर स्वर्ग में चले गए । इस रहस्य के लिए एक पौराणिक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से विष्णु ने कई अवतार लिए। जिसमें से भगवान राम भी विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं। वैसे तो भगवान राम के लिए अनेको कथाएं लिखी गई हैं लेकिन उनकी मृत्यु का सही वर्णन हर जगह नहीं मिलता है। आज उसी का कथा के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। भगवान राम ने धरती पर 10 हजार वर्षों से भी ज्यादा जीवन व्यतीत किया है। राम ने हमेशा सत्य की विजय के लिए युद्ध किया और अपने दिए हुए वचनों का पालन किया।
पद्म पुराण की के अनुसार एक बार राम से मिलने के लिए वृद्ध संत उनके महल पहुंचे और उनसे अकेले में बात करने का निवेदन किया। इस पर राम ने लक्ष्मण को कमरे के बाहर दरवाजे पर खड़ा कर दिया और कहा कि किसी को भी अंदर मत आने देना क्योंकि वृद्ध साधु ने कहा कि अगर हमारी बात में कोई बाधा डालेगा तो आपको उसे मृत्यु देनी होगी। इसके बाद लक्ष्मण ने आज्ञा मानकर किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया। अंदर कमरे में राम के सामने वृद्ध ने काल का रुप ले लिया और कहा कि प्रभु धरती पर आपका समय पूरा हो गया है आपको अब स्वर्गलोक वापस जाना होगा। लेकिन तभी ऋषि दुर्वासा वहां आते हैं और लक्ष्मण से राम को बुलाने के लिए कहते हैं।
घमंड में चूर दशानन कैसे बना रावण और शिव भक्त, जानिए कहानी
लक्ष्मण उन्हें समझाने की कोशिश करते हैं कि राम अभी व्यस्त हैं लेकिन ऋषि दुर्वासा कहते हैं कि अगर वो राम को नहीं बुलाएंगे तो वो पूरी अयोध्या को नष्ट कर देगें। ये सुनकर लक्ष्मण सोचते हैं कि एक उनकी मृत्यु से पूरी अयोध्या की जान बच सकती है तो वो राम को बुलाने चले जाते हैं। लक्ष्मण को देखते ही काल वहां से गायब हो जाते हैं। लेकिन राम कैसे लक्ष्मण को मृत्यु दंड दे सकते हैं। राम ने लक्ष्मण को मृत्यु की जगह देश से निकाल दिया। उस समय किसी का त्याग करना मृत्युदंड के सामान ही माना जाता था। लक्ष्मण राम के बिना नहीं रह सकते थे तो उन्होनें सरयू नदी में जाकर अपने प्राण दे दिए। इधर राम भी बिना लक्ष्मण के नहीं रह सकते थे तो वो भी सरयू नदी में समा गए और जैसे ही भूतल पर पहुंचे तो उन्होनें अपना मानव रुप त्याग कर विष्णु रुप में आ गए और परलोक चले गए।