Mokshada Ekadashi Vrat Katha In Hindi: वैदिक पंंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष (अगहन) शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी के तौर पर जाना जाता है। मोक्षदा एकादशी के बारे में मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन को गीता जयंती के तौर पर मनाया जाता है। वहीं शास्त्रों के मुताबिक, यह तिथि पितरों की कृपा पाने के लिए भी अत्यंत शुभ है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व पिंडदान जैसे कार्य करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। इस साल मोक्षदा एकादशी 1 दिसंबर यानी आज है। वहीं इस दिन भगवान विष्णु भगवान की विशेष पूजा- अर्चना की जाती है। साथ ही पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ना जरूरी माना जाता है। वर्ना पूजा अधूरी रह जाती है। आइए जानते हैं व्रत कथा के बारे में…
मोक्षदा एकादशी 2025 कब ? (Mokshada Ekadashi Kab hai 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी तिथि की शुरुआत रविवार 30 नवंबर को रात 9 बजकर 31 मिनट पर होगी और 1 दिसंबर को शाम 7 बजकर 1 मिनट पर तिथि का अंत होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 को रखा जाएगा।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा 2025 (Mokshada Ekadashi Vrat Katha In Hindi)
धार्मिक कथा के अनुसार राजा वैखनास चंपा नगरी के प्रतापी राजा थे। वे ज्ञानी थे और उन्हें वेदों का ज्ञान भी था। इतना भला राजा पाकर नगरवासी भी बेहद संतुष्ट व सुखी रहते थे। एक बार स्वप्न में राजा को अपने पिता दिखाई दिये जो नरक में कई यातनाएं झेल रहे थे।
राजा ने जब ये बात अपनी पत्नी से साझा की तो रानी ने उन्हें आश्रम जाने का सुझाव दिया। वहां पहुंचकर राजा ने पर्वत मुनि को अपने सपने के बारे में बताया। पूरी बात सुनने के बाद मुनि ने राजा से कहा कि तुम्हारे पिता ने अपनी पत्नी पर बेहद जुर्म किये थे, इसलिए अब मरणोपरांत वे अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं।
जब राजा ने इसका उपाय जानना चाहा तो पर्वत मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी करने की सलाह दी और कहा कि इससे प्राप्त फल को वो अपने पिता को समर्पित कर दें। राजा ने पूरे विधि-विधान का पालन कर ये व्रत रखा और उनके पिता को अपने कुकर्मों से मुक्ति मिल गई। तब से ही ये माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी न केवल जीवित बल्कि पितरों को भी प्रभावित करती है।
