Maha Shivratri 2019 Date:  महाशिवरात्रि पर शहर के शिवालयों पर धूम मचेगी। सुबह की महाआरती के बाद मंदिरों के पट भक्तों के लिए खुल जाएंगे। सोमवार के स्वामी चंद्र, बाबा सोमनाथ का दुर्लभ संयोग शिव योग महापर्व को खास बनाएगा। बाबा शिव की कृपा के साथ इस दिन श्रद्धालुओं पर चंद्र देव की शीतलता भी बरसेगी। मंदिरों में शनिवार से ही तैयारियां तेज हो गई हैं। महाशिवरात्रि की पूजा के मौके पर भक्त भगवान शिव की पूजा करते वक्त विशेष मंत्रों का जाप करते हैं। माना जाता है कि इन मंत्रों से मन की शुद्धि, अकाल से रक्षा, स्वास्थ्य और शांतिपूर्ण जीवन का वरदान मिलता है।

मार्च के पहले हफ्ते में ही हिंदुओं के बड़े त्योहार में शामिल शिवरात्रि होनी है। लेकिन अभी से ही लोग शिवरात्रि की तारीख पता करने और इसकी तैयारियों में लग गए हैं। वैसे तो साल में 12 शिवरात्रियां होती हैं। हर महीने के कृष्णपक्ष चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। हालांकि फाल्गुन माह में पड़ने वाली महाशिवरात्रि को सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण माना गया है। इस तिथि में पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में पूजा जाता है।

महाशिवरात्रि इस साल 4 मार्च यानी सोमवार को मनाई जाएगी। इस साल मनाई जाने वाली शिवरात्रि खास है। इस बार यह सोमवार को मनाई जाएगी। शिवरात्रि या महा शिवरात्रि सोमवार के दिन होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। इसके साथ ही मान्यता है कि भगवान शिव का विवाह इसी दिन देवी पार्वती के साथ हुआ था। कई मान्यताएं यह भी हैं कि सृष्टि की रचना इसी दिन हुई थी। वहीं, प्रयागराज में चल रहे कुंभ में इसी दिन आखिरी शाही स्नान भी होगा।

देश भर के मंदिरों में महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। इस दिन हर बड़ा और छोटा बिना किसी संकोच के लंबी लाइन में खड़ा हो भोले बाबा के दर्शन का इंतजार करता है। पुराणों और कथाओं में बताया गया है कि सभी देवताओं में शिव जी सबसे अलग हैं। भोले बाबा अपने भक्‍तों की भक्ति और पूजन से जल्‍दी प्रसन्‍न हो जाते हैं। भोले बाबा की के लिए लोग न केवल पूजा-अर्चना करते हैं बल्कि इस दिन व्रत भी रखते हैं। वैसे तो श्रावण हिंदू पंचांग के चैत्र माह या अंग्रेजी कलेंडर के अनुसार जुलाई या अगस्त माह में पड़ने वाले सावन के हर सोमवार को लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत रखते हैं लेकिन खास तौर पर कुंवारी कन्याएं शिव जी से आशिर्वाद स्वरूप सुवर की इच्छा करते हुए व्रत करती हैं।