जनवरी 31 यानी आज पूरे विश्व के साथ भारत भी एक अद्भुत खगोलीय घटना का साक्षी बना। इस घटना में सुपरमून और ब्लू मून के साथ खग्रास चंद्र ग्रहण भी देखा गया। जिस ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की परछाई से ढक जाता है उसे खग्रास चंद्र ग्रहण कहा जाता है। नासा ने इस अद्भुत खगोलीय ट्रिपल ट्रिफेक्टा घटना को सुपर ब्लू ब्लड मून की संज्ञा दी है। इस बार भारत में चंद्र ग्रहण को सबसे बेहतरीन रूप में नैनीताल की पहाड़ियों से देखा गया। चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा अपनी धुरी पर रहते हुए पृथ्वी के सबसे करीब होता है। 2018 के पहले चंद्र ग्रहण में चंद्रमा सामान्य रुप से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखाई दिया। ग्रहण के समय चंद्रमा नारंगी, लाल और नीले तीन रंगों में दिखाई देता है। स्काई एंड टेलीस्कोप मैग्जीन के सीनियर एडिटर केली बेटी ने इसे एक एस्ट्रोनॉमिकल ट्रिफेक्टा का नाम दिया है।
इस बार का चंद्र ग्रहण यूएस और कनाडा में बुधवार की सुबह और एशिया में बुधवार की रात को देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों द्वारा कहा गया है कि आखिरी बार ये अद्भुत घटना 1982 में देखी गई थी, 36 साल बाद फिर ये संयोग बना है। शाम 5 बजकर 53 मिनट से दिल्ली में ग्रहण देखा जा सकता था, इसके बाद 77 मिनट तक ग्रहण की अवधि रही।
1 जनवरी को भी पूर्णिमा का चांद निकला था और अब इसी महीने 31 जनवरी को भी पूर्णिमा का चांद निकल रहा है। इसलिए 31 जनवरी का चांद भी ब्लू मून तो है पर उसका रंग नीला नहीं है। वह तो ब्लू मून है यानी कभी-कभार होने वाली एक घटना है।
चंद्रमा हमारी पृथ्वी के चारों ओर गोल नहीं बल्कि अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इस कारण कभी तो वह 4 लाख किलोमीटर से भी दूर हो जाता है और कभी 3,56,000 किलोमीटर तक करीब आ जाता है।
ग्रहण काल में स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है। ग्रहण के समय किसी भी शुभ वस्तु को स्पर्श नहीं करना चाहिए। भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना भी दोषपूर्ण होता है। ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य में देव पूजन व मोक्ष के समय अन्न, वस्त्र, धनादि का दान करना चाहिए।
चंद्रग्रहण तीन घंटे 24 मिनट का रहेगा। बताया जाता है कि इतना प्रभावसाली चंद्रग्रहण 1866 में हुआ था। चंद्र ग्रहण में राहु, केतु , बुध , सूर्य की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही है । इसलिए माना जा रहा है कि यह चंद्रग्रहण प्रभावशाली होगा।
नैनिताल स्थित आर्यभट्टा रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक ये घटना किसी व्यक्ति की जिंदगी में एक बार ही आती है, क्योंकि ट्रिपल ट्रिफेक्टा 36 सालों में एक बार घटित होता है। इस दिन चांद धरती के सबसे करीब होता है। भारत में नैनीताल से स्पष्ट रूप से ग्रहण की पूरी घटना को देखा जा सकता है।
वैज्ञानिकों की मानें तो ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए यह समय को अशुभ माना जाता है। इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं। भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं।
साल 2018 में ऐसा पहली बार हो रहा है जब एक ही दिन में माघ पूर्णिमा, चंद्रग्रहण, सुपर मून और ब्लू मून पड़ रहे हैं। इस वजह से इसका महत्व और बढ गया है। भारत में चंद्र ग्रहण अलग-अलग शहरों में अलग-अलग समय पर दिखाई देगा।
वाराणसी, कोलकाता, भुवनेश्वर और गुवाहाटी में दिखा आंशिक चंद्र ग्रहण। पूरे देश में 6 बजकर 21 मिनट पर पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। 2018 के पहले चंद्र ग्रहण में चंद्रमा सामान्य रूप से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखाई देगा।
ग्रहणकाल के पहले बने हुए भोजन में तुलसी के पत्ते डालें। तुलसी के पत्तों में पारा होता है जो नेगेटिव एनर्जी को दूर करता है। घर के तमाम कोनों को गोबर से लीप दें। क्योंकि गोबर के अंदर रेडिऐशन अवशोषित करता है। यदि घर में कोई व्यक्ति बीमार है तो उसे भोजन करवा सकते हैं। इसके अलावा बच्चों को भी भोजन करवा सकते हैं।
Chandra Grahan 2018: ग्रहण के अनिष्टकारी प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण काल में स्नान, दान, मंत्र, तीर्थ स्नान करना मंगलकारी होता है। ग्रहणकाल में मूर्ति स्पर्श करना, निद्रा, भोजन करना, तेल लगाना, नाखून काटना वर्जित है। भारत में 76 मिनट के लिए लोग बिना टेलीस्कोप या उपकरण की मदद के अपनी आंखों से सीधे इस दुर्लभ खगोलीय घटना को देख सकते हैं।
Chandra Grahan 2018: ये कोई आसमान पर घटित होने वाली सामान्य प्राकृतिक घटना भर नहीं है बल्कि इसका प्रभाव मनुष्य, प्रकृति, जीव जंतुओं और सामजिक स्थितियों सभी पर पड़ता है। इस बार का चंद्र ग्रहण भी देश की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थितियों को प्रभावित करेगा। जहां रेल और हवाई दुर्घटनाओं में कमी आएगी वहीं आपराधिक मामलों में भी बढ़ोतरी आने की संभावना है, अगर महिलाओं से जुड़े अपराध घटेंगे तो भ्रष्टाचार के नए नए मामले सामने आ सकते हैं।
ये चंद्र ग्रहण अनोखा प्रभाव लेकर आया है। ये चंद्रग्रहण मात्र एक कर्मकांड से जुड़े लोगों के लिए ही नहीं बल्कि खगोलशास्त्रियों और वैज्ञानिकों के लिए भी महत्वपूर्ण है। ग्रहण की अवधि में बहुत कुछ ऐसा है जिसे सामान्य नहीं कहा जा सकता। ये अनोखी खगोलीय घटना है जो इससे पूर्व 1982 में देखी गई थी। इस दिन पूर्ण चंद्रग्रहण तो दिखेगा ही इसके अलावा एक समय होगा जब सुपर मून और ब्लू मून भी दिखाई देगा।
33 साल से कम उम्र के लोगों के लिए यह पहला मौका होगा जब वो ब्लड मून देख सकते हैं। नासा के अनुसार पिछली बार ऐसा ग्रहण 1982 में लगा था और इसके बाद ऐसा मौका 2033 में यानी 25 साल के बाद आएगा।
चंद्रग्रहण राशियों के हिसाब से अलग-अलग प्रभाव डालेगा लेकिन इस दौरान गायत्री मंत्र जाप करते रहने से प्रत्येक राशि के सभी दोषों का निवारण हो जाएगा। इसके अलावा हनुमान चालीसा और हनुमान जी के मंत्रोच्चारण का भी विशेष महत्व है।
सूर्य की परिक्रमा के दौरान पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच में इस तरह आ जाती है कि चांद धरती की छाया से छिप जाता है। यह तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा अपनी कक्षा में एक दूसरे के बिल्कुल सीध में हों। भारत में चंद्र ग्रहण करीब 1 घंटा 16 मिनट का होगा।
यह स्थिति तब आती है जब सूर्य की रोशनी छितराकर चांद तक पहुंचती है। परावर्तन के नियम के अनुसार हमें कोई भी वस्तु उस रंग की दिखती है जिससे प्रकाश की किरणें टकरा कर हमारी आंखों तक पहुंचती हैं, चूंकि सबसे लंबी तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) लाल रंग का होती है और सूर्य से सबसे पहले वो ही चांद तक पहुंचती है जिससे चंद्रमा लाल दिखाई देता है और इसे ही ब्लड मून कहते हैं।
आज चंद्रमा धरती के सबसे करीब होगा। अब आंशिक चंद्रग्रहण शुरू हो गया है। पूर्ण चंद्रग्रहण 6.31 बजे से शुरू होगा। शाम 5 बजकर 53 मिनट पर दिल्ली में ग्रहण देखा जा सकता है, इसके बाद 77 मिनट तक ग्रहण की अवधि रहेगी।
नासा के अनुसार पूर्ण चंद्र ग्रहण का सबसे अच्छा नज़ारा भारत और ऑस्ट्रेलिया में दिखेगा। भारत में 76 मिनट के लिए लोग बिना टेलीस्कोप या उपकरण की मदद के अपनी आंखों से सीधे इस दुर्लभ खगोलीय घटना को देख सकते हैं।
2018 के पहले चंद्र ग्रहण में चंद्रमा सामान्य रुप से 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार दिखाई देगा। ग्रहण के समय चंद्रमा नारंगी, लाल और नीले तीन रंगों में दिखाई दे सकता है। आखिरी बार ये अद्भुत घटना 1982 में देखी गई थी।
नासा इस अद्भुत खगोलीय घटना को कैलीफोर्निया से पूरी दुनिया के लिए लाइव कर रहा है। अंतरिक्ष में घट रही सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच के इस बदलाव को देखने के लिए नासा की इस वीडियो को देख सकते हैं। इस वीडियो में चंद्रमा लाल रंग का दिख रहा है और सामान्य से काफी बड़ा नजर आ रहा है।
शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के दौरान शारीरिक संबंध बनाने, नुकीली चीजों के इस्तेमाल आदि कार्यों को करने से व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इन कार्यों को ग्रहण के दिन करना अशुभ माना जाता है।
नैनिताल स्थित आर्यभट्टा रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक ये घटना किसी व्यक्ति की जिंदगी में एक बार ही आती है, क्योंकि ट्रिपल ट्रिफेक्टा 36 सालों में एक बार घटित होता है। इस दिन चांद धरती के सबसे करीब होता है और 7 प्रतिशत बड़ा और चमकदार दिखाई देता है और भारत में नैनीताल से स्पष्ट रुप से ग्रहण की पूरी घटना को देखा जा सकता है।
हिंदू शास्त्रों में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। आज उत्तर भारत में भूकंप के झटके आने के बाद कई विद्वान इसे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव बता रहे हैं। ग्रहण के समय ऊं नमः शिवाय और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करने के लिए ज्योतिषों द्वारा कहा जा रहा है।
भारत में चंद्र ग्रहण करीब 1 घंटा 16 मिनट का होगा। बैंगलोर में करीब 4 बजकर 21 मिनट पर ग्रहण दिखाई देना शुरु हो जाएगा।
भारत में सबसे पहले चंद्र ग्रहण उत्तरी-पूर्वी भारत में दिखाई देगा। यहां के लोग चंद्र ग्रहण की घटना को शाम 4 बजकर 21 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 18 मिनट तक देख सकते हैं। पूरे भारत में ग्रहण 5 बजकर 18 मिनट से लेकर 6 बजकर 21 मिनट तक देखा जा सकता है।