शास्त्रों में गायत्री मंत्र की महिमा बताई गई है। यह महामंत्र यजुर्वेद से लिया गया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। गायत्री एक छंद है जो ऋग्वेद के प्रसिद्ध सात छंदों में से एक है। इस छंद में आठ-आठ अक्षरों के तीन चरण होते हैं। दैनिक जीवन में कई लोग इस गायत्री मंत्र का जाप करते हैं। क्या आप जानते हैं कि गायत्री मंत्र का जाप कितनी माला करनी चाहिए? साथ ही गायत्री मंत्र की कितनी माला जाप करने से क्या लाभ मिलने की मान्यता है? आगे इसे जानते हैं।
कहते हैं कि कोई भी ऐसा शास्त्र नहीं है, जिसमें गायत्री मंत्र की महिमा न हो। देवी भागवत के तीन अध्याय में केवल गायत्री मंत्र की महिमा बताई गई है। देवी भागवत के अनुसार एक माला गायत्री मंत्र का जाप करने से दिन भर के पाप कटते हैं। तीन माला गायत्री मंत्र जपने से नौ दिन के पाप कटते हैं। साथ ही नौ माला गायत्री मंत्र का जाप करने से नौ महिना पहले तक के पाप कटते हैं। इसके अलावा भागवत के दसवें सकन्द में भगवान कृष्ण के दिनचर्या का वर्णन मिलता है। कहते हैं कि श्री कृष्ण नियमित ब्रह्म मुहूर्त में एक घंटे गायत्री मंत्र का जाप करते थे।
अथर्ववेद में भी गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है। इस मंत्र के बारे में एक श्लोक आया है कि ”स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयन्ताम्, पावमानी द्विजानाम्। आयु: प्राण प्रजाम् पशु कीर्तिं द्रविणं ब्रह्मवर्चसम्। मह्यम् दत्वा ब्रजत् ब्रह्मलोकम्।।” यानि जो इस मंत्र का जाप करता है उसका दूसरा जन्म होता है, सबकुछ उसका बदल जाता है। साथ ही उसकी उम्र बढ़ती है। प्राण शक्ति भी उस मनुष्य की बढ़ जाती है। इसके अलावा वह ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है। गायत्री मंत्र का जाप करने वाले की यश और कीर्ति बढ़ती है।