Vakratunda Sankashti Chaturthi 2025 Date: हिंदू धर्म में वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है।. इस दिन संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना लिए हुए प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश जी की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी व्रत में भगवान श्री गणेश जी के साथ चंद्र देवता की पूजा का विधान है। यहां हम बात करने जा रहे हैं कार्तिक मास के व्रतकुण्ड संकष्टी चतुर्थी के बारे में, जो 10 अक्टूबर को है। वहीं इस दिन सिद्ध योग भी बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त…
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी तिथि 2025
वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्तूबर को रात 10 बजकर 54 मिनट से शुरू होगी। इस तिथि का समापन 10 अक्तूबर को शाम 7 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक संकष्टी चतुर्थी का व्रत 10 अक्तूबर को रखा जाएगा।
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2025
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 11:44 से 12:31 मिनट तक रहेगा। इस बीच में आप पूजा कर सकते हैं। साथ ही संकष्टी चतुर्थी पर कृत्तिका नक्षत्र बन रहा है, जो शाम 5 :31 मिनट तक है। वहीं सिद्ध योग शाम 5:41 मिनट तक रहने वाला है।
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥