Indira Ekadashi 2025: शास्त्रों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि वैसे तो हर महीने 2 एकादशी तिथि आती हैं एक शुक्ल पक्ष में तो दूसरी कृष्ण पक्ष में। यहां हम बात करने जा रहे हैं इंदिरा एकादशी के बारे में, जो पितृ पक्ष में आती है। इस एकादशी को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से और पुण्य कार्य करने से पितरों की मुक्ति मिलती है। साथ ही उन्हें मोक्ष मिलता है। वहीं इंदिरा एकादशी के व्रत से पापों का क्षय होता है। साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं इस दिन गौरी योग, शिव योग और परिघ योग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं कब है इंदिरा एकादशी का व्रत, तिथि और शुभ मुहूर्त…
इंदिरा एकादशी 2025 तिथि (Indira Ekadashi Kab Hai)
ज्योतिष पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातथि के अनुसार 17 सितंबर को मनाई जाएगी।
इंदिरा एकादशी का शुभ मुहूर्त और योग 2025
पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर शिव और परिघ योग समेत कई विशेष संयोग बन रहे हैं। परिघ योग देर रात तक है। इसके बाद शिव योग का संयोग बन रहा है। ऐसे में इन योगों में पूजा करना मंगलकारी रहेगा। बता दें कि इस दिन गौरी योग का शुभ संयोग रहेगा चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में विराजमान रहेंगे। जिससे गौरी योग बनेगा। ऐसे में व्रत और श्राद्ध कर्म करने वालों को पुण्य फल की प्राप्ति होगी।
इंदिरा एकादशी पर करें ये उपाय
1- इंदिरा एकादशी के दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें। ऐसा करने से सभी मनोरथ पूर्ण हो सकते हैं।
2- इस दिन गरीबों, ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या दक्षिणा दें। विशेषकर तिल, गुड़, फल और अनाज का दान शुभ माना जाता है। इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
3-संध्या समय पीपल के नीचे या नदी किनारे एक घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही सुख- समृद्धि के साथ वंशवृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
4- जीवन के दुख और संकट को दूर करने के लिए इंदिरा एकादशी के दिन महादेव की पूजा-अर्चना करें। इस दौरान सच्चे मन से शिवलिंग पर 21 बेलपत्र चढ़ाएं।
पितृ पक्ष में नई चीज, प्रापर्टी- वाहन की खरीददारी क्यों है वर्जित? प्रेमानंद महाराज ने बताई वजह