Aditya Hridaya Strot: वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा गया है। साथ ही सूर्य देव आत्मविश्वास, सेहत, प्रशासन, आत्मा, पिता और बॉस के कारक ग्रह हैं। इसलिए सूर्य देव का कुंडली में सकारात्मक होना बहुत जरूरी है। वहीं सूर्य देव के जन्मकुंडली में अशुभ होने से पिता से विरोध, पिता को कष्ट, आत्मविश्वास में कमी, मानहानि, सरकारी विभाग से कष्ट, हृदय रोग, पित्त रोग, नेत्र पीड़ा, नौकरी में बाधा, बॉस से मतभेद हो सकते हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि सरकारी नौकरी के भी सूर्य देव कारक हैं। मतलब जो लोग बहुत मेहनत के करने के बाद भी सरकारी नौकरी लेने में कामयाब नहीं हो पा रहे हो तो उनको अपनी जन्मकुंडली का विश्षेषण एक योग्य ज्योतिषी से कराना चाहिए। साथ ही सूर्य उपासना करनी चाहिए आइए जानते हैं कैसे करें सूर्य देव की आराधना…
इस स्त्रोत का करें पाठ
शास्त्रों में आदित्य ह्रदय स्त्रोत को बहुत प्रभावी बताया गया है। रामायण के अनुसार भगवान श्री राम से रावण वध से पहले आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ किया था। इसलिए सरकारी बाधाओं से मुक्ति के लिए, अधिकारियों को अनुकूल बनाने के लिए, नेत्र रोग के निवारण के लिए, संतान प्राप्त करने के लिए तथा प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ किया जाता है। इस पाठ का आरंभ शुक्ल पत्र के प्रथम रविवार के दिन से करना चाहिए। साथ ही यह पाठ सूर्य देव के सामने घर का मकान की छत पर करना चाहिए। इस पाठ को शुरू करने से पहले सूर्य देव को तांबे के पात्र में जल अर्पित करें। उसके बाद ही इस स्त्रोत का पाठ करें।
आंख की बढ़ती है रोशनी
वैदिक ज्योतिष अनुसार सूर्य अगर जन्मकुंडली के द्वादश या द्वितीय भाव में पीड़ित अवस्था में हो, पाप ग्रहों से युक्त अथवा दृष्ट हो, तो व्यक्ति को आंखों से संबंधित परेशानी हो सकती है। इसलिए जिन लोगों को ये परेशानी हो वो लोग सूर्य देव की आराधना करें। साथ ही प्रतिदिन आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ सकती है। वहीं सूर्य की पूजा-उपासना यदि सूर्य के नक्षत्र उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा एवं कृतिका में की जाए तो बहुत लाभ होता हैं।