मदन गुप्ता सपाटू

इस बार निर्जला एकादशी 10 जून, शुक्रवार की प्रात: 7:27 पर आरंभ होकर अगले दिन 11 जून, शनिवार की सुबह 5:.46 तक रहेगी। इस वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल द्वादशी का क्षय होने के कारण, स्मार्त अर्थात गृहस्थ लोगों को 10 तारीख के दिन व्रत रखना चाहिए और वैष्णवों अर्थात -संन्यासी, विधवा, वानप्रस्थ तथा वैष्णव सम्प्रदाय वाले लोग 11 जून के दिन उपवास रख सकते हैं।

इस दिन निराहार व्रत रख कर भगवान विष्णु उपासना तथा यथाशक्ति दान करने से सभी एकादशियों के पुण्य प्राप्त हो जाते हैं। एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्य निकलने तक जल ग्रहण न करने के विधान के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। पूरे साल की 24 एकादशियों के व्रतों को न भी किया जाए तो भी इस अकेले निर्जला एकादशी का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। इस साल यह एकादशी तुला राशि पर पड़ रही है।

यह व्रत अत्याधिक श्रम साध्य होने के साथ साथ, कष्ट एवं संयम साध्य भी है। यह एक शारीरिक परीक्षण का दिन भी है जब आप अपनी शारीरिक क्षमता का परीक्षण कर सकते हैं कि आप कैसे भूखे प्यासे एक दिन क्या संयम से निकाल सकते हैं? कुछ हद तक यह व्रत करवा चौथ से मिलता-जुलता है। ज्येष्ठ मास की इस शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पांडवों ने भी व्रत रखा था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।

ऐसा व्रत जल के अभाव में आपातकाल में भी जीना सिखाता है। ऐसे व्रत हमारे धर्म, संस्कृति और देश में किसी न किसी उद्देश्य से रखे गए हैं ताकि हम जीवन में किसी भी आपात स्थिति से निपट सकें। गर्मी से समाज के सभी वर्गों को राहत मिले, इसलिए इन दिनों मीठे व ठंडे जल की छबीलें लगाने की प्रथा, उत्तर भारत में सदियों से चली आ रही है।

इसी कारण हमारे धर्म में आज के दिन खरबूजे, पंखे, छतरियां, आसन,फल, जूते, अन्न, भरा हुआ जल कलश आदि दान करने का प्रावधान हैं ताकि सबल समाज द्वारा निर्बल और असहायों की सहायता हो और हमारे देश के जीवन दर्शन-सरबत दा भला क्रियात्मक रुप में प्रचारित एवं प्रसारित किया जा सके। निर्जला एकादशी पर हम केवल मनुष्य वर्ग, को ही जल पिलाते हैं और पशु- पक्षियों को भूल जाते हैं। र्प्यावरण की दृष्टि से पक्षियों को भी जल तथा दाना चुग्गा दें और गायों को भी उनकी आवश्यकतानुसार खाद्य पदार्थ एवं जल दें।

निर्जला एकादशी पूजा विधि

एकादशी के दिन सुबह सुबह स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करें।
पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एकादशी व्रत की कथा को पढ़े या एकादशी व्रत की कथा को सुनें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें और भगवान को भोग लगाएं।
भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
व्रत रखने वाले को इस दिन जल और भोजन का उपयोग नहीं करना है और व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

राशि अनुसार दान करें
मेष : सात अनाज या पका हुआ दान करें। गायों को जल व भोजन दें।
वृषभ : सफेद वस्त्रों का दान करेगा कल्याण। पशु-पक्षियों के लिए जल की व्यवस्था करें।
मिथुन : हरे फल, आम, खरबूजे का दान लाएगा गृहस्थी में हरियाली।
कर्क : कहीं जल की व्यवस्था, वाटर कूलर, पंखे, कूलर का दान रखेगा कर्क रोग से दूर।
सिंह : एअर कंडीशनर या धर्म स्थानों पर विद्युत उपकरण लगाएंगे, जीवन में सुख समृद्धि एवं वृद्धि पाएंगे।
कन्या : अनाथालय या लंगर में हरी सब्जियां व खरबूजे दान करें।
तुला : आपकी राशि में है निर्जला एकादशी मीठे जल या पेय की छबील लगाएं।
वृश्चिक : भगवान विष्णु का स्मरण और तरबूज का दान लाभकारी सिद्ध होगा।
धनु : पीला ठंडा केसर युक्त दूध वितरित करें।
मकर : छतरी, जलपात्र, कलश का दान बढ़ाएगा मनोबल।
कुंभ : जल से भरा कुंभ, कूलर, फ्रिज, वाटर कूलर यथाशक्ति दान करें।
मीन : ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: का पाठ और सर्व भूत हिते रता: की भावना से सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पेड़ लगाना आपको निरोगी काया, औरों को छाया देगा।