Ekadashi Ka Shradh 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है, जो कि श्रीहरि और माता लक्ष्मी के लिए रखा जाता है। इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा। वहीं इस दिन ग्यारस श्राद्ध का भी संयोग है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध होता है जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि पर हुई हो। यह तिथि पितरों के तर्पण के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन जिन मृतकों का श्राद्ध किया जाता है, उनपर स्वयं श्रीहरि की कृपा होती है। आइए जानते हैं तर्पण करने का शुभ मुहूर्त और विधि…
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इंदिरा एकादशी तिथि 2025
वैदिक पंंचांग के अनुसार आश्विन मास की एकादशी तिथि की आरंभ 17 सितंबर की अर्धरात्रि 12 बजकर 22 मिनट पर होगी और तिथि का अंत भी 17 सितंबर को रात 11 बजकर 38 मिनट पर ही होगा। इस दिन परिघ योग, शिव योग और शिववास का संयोग बन रहा है।
एकादशी श्राद्ध पर पितरों के तर्पण का समय
कुतुप मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक
अपराह्न काल- इस दिन दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 56 मिनट तक
पितृ देव की आरती (Pitru Dev Aarti)
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रख लेना लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,
आप ही हो रखवारे,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपके,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रहूं मैं बारम्बार,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।