Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2025: वैदिक ज्योतिष में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित माना जाती है। इस शुभ अवसर पर संकष्टी चतुर्थी मनाए जाने का विधान। वहीं अगहन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा- अर्चना करने का विधान है। साथ ही पूजा करने से कष्टों से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि का प्राप्ति होती है। इस साल गणेश चतुर्थी 8 नवंबर को मनाई जाएगी। वहीं इस बार गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। जानें गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, चंद्रोदय का समय…

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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी तिथि 2025 (Ganadhipa Sankashti Chaturthi Kab Hai)

ज्योतिष पंचांग के मुताबिक अगहन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 08 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर आरंभ होगी और 09 नवंबर को सुबह 04 बजकर 24 मिनट पर खत्म होगी। वहीं आपको बता दें कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करने का विधान है। इसके लिए 08 नवंबर को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इस दिन चंद्र दर्शन का समय संध्याकाल 08 बजकर 02 मिनट पर है।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी योग और शुभ मुहूर्त (Ganadhipa Sankashti Chaturthi Shubh Yog And Muhurat)

इस दिन शिव और सिद्ध योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही भद्रावास और शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोरथ पूर्ण होता है।

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का महत्व

इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष है, उनका चंद्र दोष दूर होता है।

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गणेश आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
एकदन्त दयावन्त, चार भुजाधारी.
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी.
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया.
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया.
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी.
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.

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