गुस्सा इंसान का शत्रु होता है। क्योंकि गुस्से में व्यक्ति की सोचने और समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। जिससे व्यक्ति सही और गलत का फैसला नहीं कर पाता है। कहते हैं गुस्से में किए गए काम या बोली हुई बातों से व्यक्ति के खुद का ही नुकसान होता है। हालांकि इसका एहसास गुस्सा शांत होने के बाद होता है। वहीं दूसरी ओर मन को शांत और खुश रखकर गुस्से पर काबू पाया जा सकता है। प्रवचनकर्ता मुनि श्री पुलक सागर जी के अनुसार आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब कभी गुस्सा आए तो क्या करना चाहिए।
गुस्से आने पर क्या करें? इसे मुनि श्री पुलक सागर जी ने एक कथा के माध्यम से समझाया है। कथा के अनुसार एक बार गामा पहलमान छत के ऊपर कसरत कर रहा था। इतने में नीचे से मुल्लाह नसरुद्दीन मरियल निकला। इसी बीच कसरत करते गामा पहलमान के हाथों से ईंट छूट गई और मुल्लाह नसरुद्दीन के सर पर जाकर लगी। इसके बाद गुस्से में आगोश होकर मुल्लाह ने कहा कौन है तू? “मेरा सिर फोड़ दिया कमबख्त मैं देखता हूं आकर, तेरा सिर फोदूंगा।” बड़े गुस्से और आवेश में आकार वह छत पर चढ़ा, जैसे ही वह छत पर पहुंचा, गालियां बोलने लगा।
गामा ने कहा- कौन है रे तू। इतना सुनकर वह शांत हो गया। इसके बाद गामा ने मुल्लाह से पूछा कि क्यों गाली दे रहा था, चिल्ला रहा था? क्या बात है? तू मेरा सिर फोड़ेगा? इस पर मुल्लाह बोला कि- “मैं आपका सिर फोड़ने नहीं आया हूं। ये आपकी ईंट गिर गई थी उसे ही संभालने आया हूं, ये लीजिए आप संभालिए इसे।”
प्रवचन में आगे मुनिश्री पुलक सागर जी ने कहा कि जब शेर पर सवा शेर मिल जाता है न तब क्रोध छूमंतर हो जाता है। ऐसे में क्रोध मनुष्य के पास ज्यादा देर तक टिकता नहीं है। फिर आगे उन्होंने कहा कि जब भी गुस्सा आए अपने से बलवान के सामने जाकर खड़े हो जाना चाहिए। क्रोध पर काबू पाने के लिए दूसरी बात उन्होंने बताई कि रोज सुबह जब जगें तो डेढ़ मिनट मुस्करा लेना चाहिए। क्योंकि मुस्कुराहट क्रोध की दुश्मन है। यदि चहरे पर मुस्कुराहट है तो क्रोध स्वतः भाग जाएगा।