Durga Saptashati Path in Navratri: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की उपासना के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दौरान भक्त देवी दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। वहीं, नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इससे जीवन के दुखों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। लेकिन अक्सर लोग पाठ करते समय कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनसे इसका पूरा फल नहीं मिल पाता। इसलिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी है। ऐसे में दुर्गा सप्तशती का पाठ कब करें और क्या है इसके नियम…

क्यों जरूरी है दुर्गा सप्तशती का पाठ?

दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य भी कहा जाता है। इसमें मां दुर्गा की महिमा, उनके पराक्रम और असुरों पर विजय की गाथा विस्तार से बताई गई है। इस ग्रंथ का पाठ करने से मन को शांति मिलती है, नकारात्मकता दूर होती है और घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है। यह पाठ व्यक्ति की कठिनाइयों को कम करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है।

सुबह या शाम, कब करें पाठ?

दुर्गा सप्तशती का पाठ आप सुबह सूर्योदय के बाद या शाम के समय कर सकते हैं। खासकर नवरात्रि में इसका पाठ करना सबसे शुभ माना जाता है। हालांकि आप इस पाठ को पूरे साल भी कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि पाठ करने में निरंतरता बनाए रखना चाहिए। इसे अधूरा और बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।

कहां करें पाठ?

घर में बने मंदिर में या किसी शांत व स्वच्छ स्थान पर बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। ध्यान रखें कि जिस जगह आप पाठ कर रहे हैं, वहां शुद्धता और शांति का वातावरण होना चाहिए। इस दौरान देवी मां की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप-दीप अवश्य जलाएं।

किस मुद्रा में करें पाठ?

पाठ हमेशा शांत मुद्रा में बैठकर ही करना चाहिए। बैठने के लिए कुशासन, आसन या साफ कपड़ा बिछाना शुभ माना जाता है। मन और शरीर दोनों को शांत रखकर श्रद्धा भाव से पाठ करना चाहिए।

इन बातों का रखें खास ध्यान

दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं, लेकिन इन्हें नौ दिनों में एक-एक अध्याय के रूप में नहीं बांटना चाहिए। यदि कथा-पाठ शुरू करें तो उसे पूर्ण करने का संकल्प जरूर लें। पाठ करते समय बीच-बीच में बातचीत, मोबाइल फोन या किसी और कार्य में ध्यान न भटकाएं। पाठ के दौरान शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखें। व्रत के साथ पाठ करने पर इसका प्रभाव और भी अधिक होता है।

मां दुर्गा का सप्तशती पाठ (Durga Saptashati Path)

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।

दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेष जन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्य दुःख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकार करणाय सदार्द्रचित्ता।।

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते॥

शरणागत दीनार्तपरित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तु ते॥4॥

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोस्तु ते॥

रोगानशेषानपंहसि तुष्टारुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता हि आश्रयतां प्रयान्ति॥

सर्वबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यम् अस्मद् वैरि विनाशनम्॥

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