जब हम मंदिर जाते हैं, तो अक्सर पुजारी भगवान के चढ़े हुए फूल प्रसाद के साथ आपको दे देते हैं। जिन्हें आप भगवान का आशीर्वाद समझकर श्रद्धाभाव से ले लेते हैं। लेकिन जब ये फूल ले लेते हैं, तो इसके बाद क्या करना चाहिए? क्या आपने कभी सोचा है। अधिकतर पुरोहित द्वारा मिले फूल को आप घर ले आते हैं और किसी कोने में रख देते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। शिव पुराण, स्कंद पुराण, लिंग पुराण में इस बारे में विस्तार से बताया गया है कि मंदिर में मिले फूल का किस तरह से इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही जानें कि किस प्रकार से इन पूजा के फूलों को इस्तेमाल करके पाप के भागी  बनने से बच सकते हैं।

पुरोहित से फूल लेने के बाद करें ये काम

शिव पुराण के अनुसार, मंदिर का पुरोहित आपको जब फूल दें, तो उसमें अपनी आंखों में लगाएं। इसके बाद अपने हृदय में लगाकर कानों के ऊपर थोड़ी देर जरूर रखें। इसके बाद ही आप चाहे, तो जल में प्रवाहित कर दें या फिर घर ले जाएंगे। शिव पुराण के अनुसार, कानों में इसलिए लगाया जाता है क्योंकि भगवान प्रवेश का सबसे बड़ा द्वार ये कर्ण यानी कान ही है। क्योंकि आप कान के द्वारा की कथाएं आदि सुनते हैं। जिसके उपरांत ही आपके अंदर देवी-देवता के प्रति आस्था उत्पन्न होती है। इसके बाद ही आप उनके दर्शन करने के लिए मंदिर जाते हैं।

शास्त्रों में कर्ण का विशेष महत्व है। सोलह श्रृंगार से लेकर सोलह संस्कार में कर्ण होता है। सोलह श्रृंगार में कानों में आभूषण पहनना शुभ माना जाता है। इसी तरह सोलह संस्कार में से एक कर्ण छेदन होता है।

चढ़े फूल का ऐसे कर सकते हैं इस्तेमाल

अगर आप भगवान के ऊपर चढ़े फूल को जल में प्रवाहित नहीं करना चाहते हैं, तो इसे अपने घर में लाल या फिर पीले कपड़े में लपेटकर अलमारी, तिजोरी या फिर धन वाले स्थान में रख दें। इससे भी सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अगर आपको ऐसे फूल मिले है, जिसका इस्तेमाल बीज की तरह किया जाता है जैसे कि गेंदा। ऐसे फूलों को आप गमले में मिट्टी डालकर बो सकते हैं। यह भी शुभ माना जाता है।

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