Chitragupta Puja 2025, Shri Chitragupt Ji Ki Aarti: इस साल चित्रगुप्त पूजा 23 अक्तूबर 2025, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। सनातन परंपरा में भगवान चित्रगुप्त को देवताओं के धर्माधिकारी और कर्मों के लेखा-जोखा रखने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। उनका प्राकट्य यम द्वितीया के शुभ अवसर पर हुआ था, इसलिए इस दिन को चित्रगुप्त पूजा के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा ने अपने शरीर (काया) से चित्रगुप्त जी की रचना की थी। इसी कारण उनके वंशजों को ‘कायस्थ’ कहा जाता है। चित्रगुप्त जी का विशेष संबंध लेखन और ज्ञान से है, इसलिए इस दिन कलम, दवात और लेखनी की पूजा का अत्यंत महत्व होता है। धार्मिक ग्रंथों में भगवान चित्रगुप्त की महिमा का विस्तार से उल्लेख मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा के साथ चित्रगुप्त जी की आरती और पूजा-विधि का पालन करता है, उसे विद्या, बुद्धि, संपत्ति और पापों से मुक्ति का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही, मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में यहां पढ़ें भगवान चित्रगुप्त की पूरी आरती…

श्री चित्रगुप्त आरती (Shri Chitragupt Ji Ki Aarti)

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,

स्वामीजय चित्रगुप्त हरे .

भक्तजनों के इच्छित,

फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,

सन्तनसुखदायी .

भक्तों के प्रतिपालक,

त्रिभुवनयश छायी ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,

पीताम्बरराजै .

मातु इरावती, दक्षिणा,

वामअंग साजै ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,

प्रभुअंतर्यामी .

सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,

प्रकटभये स्वामी ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,

करमें अति सोहै .

वैजयन्ती वनमाला,

त्रिभुवनमन मोहै ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,

ब्रम्हाहर्षाये .

कोटि कोटि देवता तुम्हारे,

चरणनमें धाये ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,

यादतुम्हें कीन्हा .

वेग, विलम्ब न कीन्हौं,

इच्छितफल दीन्हा ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

दारा, सुत, भगिनी,

सबअपने स्वास्थ के कर्ता .

जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,

तुमतज मैं भर्ता ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,

शरणगहूँ किसकी .

तुम बिन और न दूजा,

आसकरूँ जिसकी ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,

प्रेम सहित गावैं .

चौरासी से निश्चित छूटैं,

इच्छित फल पावैं ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,

पापपुण्य लिखते .

‘नानक’ शरण तिहारे,

आसन दूजी करते ॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,

स्वामीजय चित्रगुप्त हरे .

भक्तजनों के इच्छित,

फलको पूर्ण करे ॥

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