Chhath Puja 2025 Auspicious Sup: आज से लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। यह पर्व चार दिनों तक चलने वाला होता है, जिसमें व्रतधारी महिलाएं और पुरुष भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा करते हैं। इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इसके बाद खरना, फिर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और अंत में उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया जाता है। इस दौरान 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है, जो अत्यंत कठिन और श्रद्धा से भरा होता है। वहीं, छठ महापर्व में उपयोग की जाने वाली हर सामग्री, बर्तन और वस्त्र का विशेष अर्थ और महत्व होता है। इन्हीं में से एक है सुपा, जिसे पूजा का अहम हिस्सा माना गया है। हालांकि, अक्सर भक्तों के मन में यह सवाल रहता है कि अर्घ्य के लिए बांस का सुपा अधिक शुभ है या पीतल का। ऐसे में आइए जानते हैं इस बारे में शास्त्रों में क्या कहा गया है।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। यह त्योहार सूर्य भगवान और छठी मैया को समर्पित होता है। छठ व्रत के दौरान पूजा में उपयोग होने वाली हर सामग्री, चाहे वह बर्तन हो, वस्त्र हो या सूप, का विशेष महत्व होता है। इनमें से एक प्रमुख वस्तु है सूप या सुपा, जिसका उपयोग प्रसाद सजाने और अर्घ्य देने के लिए किया जाता है।

बांस का सुपा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा में बांस का सुपा सबसे पवित्र माना जाता है। यह पूरी तरह प्राकृतिक और सात्विक होता है। कहा जाता है कि जैसे बांस तेजी से बढ़ता है, वैसे ही बांस के सुपे में पूजा करने से संतान की तरक्की और जीवन में सफलता तेजी से बढ़ती है।

व्रती महिलाएं इस सुपे में ठेकुआ, फल, और प्रसाद सजाकर सूर्य देव को अर्पित करती हैं। बांस का सुपा न केवल परंपरा का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और शुद्धता का भी संदेश देता है। यह माना जाता है कि इससे संतान की वृद्धि, परिवार की उन्नति और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

पीतल का सुपा

वर्तमान समय में कई लोग पीतल के सुपा या परात का भी प्रयोग करने लगे हैं। शास्त्रों के अनुसार, पीतल को सूर्य का धातु माना जाता है। इसकी चमक और पीला रंग सूर्य देव का प्रतीक है। छठ व्रत में अगर पीतल के सुपे में अर्घ्य दिया जाए तो यह भी शुभ फल प्रदान करता है। पीतल का सुपा उन लोगों के लिए उचित माना जाता है जो पूजा में पारंपरिकता के साथ आधुनिकता को भी अपनाना चाहते हैं। इससे घर में वैभव, धन और समृद्धि आती है।

कौन सा सुपा है ज्यादा शुभ?

दरअसल, दोनों सुपों का अपना-अपना महत्व है।

बांस का सुपा – परंपरा, प्रकृति और श्रद्धा का प्रतीक।

पीतल का सुपा – वैभव, धन और समृद्धि का प्रतीक।

अगर कोई व्यक्ति परंपरागत रीति-रिवाजों से पूजा करना चाहता है तो बांस का सुपा सबसे शुभ माना जाता है। वहीं, अगर कोई पूजा में शुद्धता के साथ आधुनिकता को जोड़ना चाहता है तो पीतल का सुपा भी समान रूप से मंगलकारी माना गया है।

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