Chhath Puja 2022: इस साल छठ महापर्व 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू होगा गया। साथ ही वैदिक पंचांग के अनुसार  30 अक्टूबर को अस्ताचलगामी अर्घ्य यानी डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। जिसमें व्रती लोग पानी के अंदर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। आपको बता दें कि सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सभी जरूरी चीजों की खरीदारी एक दिन पहले ही कर ली जाती है। छठ महापर्व मुख्यतौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विधि- विधान के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और अर्घ्य देने के लाभ…

अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार 30 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सूर्यास्त 5 बजकर 35 मिनट पर होगा। वहीं अलग- अलग स्थानों पर सूर्यास्त के समय में कुछ परिवर्तन हो सकता है।

ऐसे दिया जाता है सूर्य देव को अर्घ्य

पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में पांच प्रकार के फल, फूल, ठेकुआ, चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल और सूप रखा जाता जाता है। वहीं सूर्यास्त के समय परिवार के सभी सदस्य किसी नदी या तालाब के पास जाते हैं। छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती हैं औप फिर एक साथ डूबते हुए सूर्य देव को विधि- विधान से अर्घ्य देते हैं। उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घर आ जाते है। चार दिवसीय छठ पर्व में तीसरा दिन सबसे खास होता है। 

आइए जानते हैं महत्व और लाभ

छठ महापर्व का वर्णन रामायण और महाभारत में भी मिलता है। रावण वध के पाप से मुक्ति के लिए भगवान राम और माता सीता ने कार्तिक महीने में सूर्य देव की उपासना की थी। वहीं इस दिन महिलाएं सूर्य देव से परिवार की सुख- समृद्धि और बच्चों की लंबी आयु की कामना करती हैं। मान्यता है है जो लोग छठ पर्व पर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा- अर्चना करते हैं। उनको छठी मैया धन- समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।इस दिन महिलाएं अपने परिवार, बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। छठी माता और सूर्य देव से घर में सुख समृद्धि की मांग करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत करने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती हैं।

वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सायंकाल में सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ भ्रमण करते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम के टाइम सूर्य देव की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा- अर्चना की जाती है। ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलने की मान्यता है।