Chandra Grahan 2025 Sutak Kal: वैदिक ज्योतिष अनुसार समय- समय पर चंद्र और सूर्य ग्रहण पड़ते है, जिसका प्रभाव मानव जीवन और देश- दुनिया पर देखने को मिलता है। वहीं आपको बता दें चंद्र ग्रहण हिंदू धर्म में अशुभ अवधि माना जाता है, जिसमें शुभ-मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। साथ ही इस समय सभी तरह की यात्राएं करना भी वर्जित होता है, क्योंकि इसके अशुभ प्रभाव से जातकों को नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। साथ ही सूतक काल लगने पर भगवान के दर्शन नहीं किए जाते हैं न ही पूजा पाठ के कार्य किए जाते हैं। बड़े बड़े मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।
आपको बता दें आज रात 9 बजकर 57 मिनट पर पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है और आज दोपहर में 1 बजकर 57 मिनट पर सूतक काल शुरू हो गया है। और सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं। लेकिन, कुछ प्रसिद्ध मंदिर ऐसे हैं जहां सूतक काल में कपाट बंद नहीं किए जाते हैं। आइए जानते हैं सूतक काल के दौरान कौन से मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे…
महाकाल उज्जैन
यह मंदिर मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में पड़ता है। साथ ही यहां भगवान शिव का सबसे बड़ा ज्योतिर्लिंग है। आपको बता दें कि ग्रहण के वक्त महाकाल मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। ग्रहण काल के दौरान भी महादेव के भक्त उनके दर्शन कर पाएंगे। क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे मोक्ष की नगरी का केंद्र माना जाता है। युगों-युगों से यह मंदिर भक्तों, साधुओं, ऋषियों और राजाओं की आस्था का केन्द्र रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर के कपाट भी सूतक काल के दौरान खुल रहेंगे। आपको बता दें कि ग्रहण आरंभ होने से 2.5 घंटे पहले मंदिर के कपाट दर्शन के लिए बंद किए जाते हैं। भोलेनाथ यक्ष, देवता, गंधर्व, सुर, असुर सभी के स्वामी हैं। ऐसे में सूतक का कोई भी प्रभाव उन पर नहीं होता है।
विष्णुपद मंदिर
यह मंदिर बिहार के गया शहर में स्थित है। साथ ही भगवान विष्णु के पैरों के निशान पर मंदिर बना है। जिसे विष्णुपद मंदिर कहा जाता है। इसे धर्म शिला के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि पितरों के तर्पण के बाद भगवान विष्णु के पैरों के निशान के दर्शन करने से दुख खत्म होते हैं और पितर संतुष्ट होते हैं। इस मंदिर में भी चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट हमेशा खुले रहते हैं।
थिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर
थिरुवरप्पु श्री कृष्ण मंदिर भारत के केरल राज्य में कोट्टायम जिले के थिरुवरप्पु में स्थित है। साथ ही इस मंदिर की बड़ी खासियत यह है कि यहां स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति को बहुत भूख लगती है और अगर भोग समय पर न लगाया जाए तो मूर्ति दुबली होने लगती है। इसी कारण यहां प्रतिदिन भगवान को कई बार भोग लगाया जाता है। वहीं आपको बता दें कि एक बाद सूर्यग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे तो भगवान कृष्ण की कमरपेटी भूख का कारण ढीली होकर गिर गई थी। तभी से यहां सूतक काल मान्य नहीं होता है। इसलिए ग्रहण में मंदिर खुला रहता है।
लक्ष्मीनाथ मंदिर
यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर शहर में स्थित है। इस मंदिर के भी कपाट सूतक काल के समय खुले रहते हैं। मान्यता है कि एक बार ग्रहण के दौरान मंदिर के पुजारी से भगवान की आरती नहीं की थी न ही उन्हें भोग लगाया था पास में स्थित एक दुकान के हलवाई के सपने में आकर भगवान ने भूख लगने की बात कही थी। तभी से मंदिर के कपाट ग्रहण के समय खुले जाने लगे। इसका निर्माण महाराजा राव लूनकरण द्वारा करवाया गया था। वहीं मंदिर का निर्माण लाल और संगमरमर के पत्थरों से हुआ है, जिसमें जटिल वास्तुकला और सुंदर नक्काशी शामिल है।