Chanakya Niti In Hindi: आचार्य चाणक्य भारत के महान विद्वानों में से एक माने जाते हैं। इन्होंने जीवन को सुखमय बनाने के लिए कई तरह की नीतियां बताई हैं। जिसका अनुसरण कर किसी भी तरह की समस्या का हल निकाला जा सकता है। उन्होंने हर उस विषय का गहनता से अध्ययन किया है जो मनुष्य को प्रभावित करता है। यहां हम जानेंगे चाणक्य की उस नीति के बारे में जिसमें इन्होंने कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया है जिसका हमें समय रहते त्याग कर देना चाहिए…
मूर्खस्तु परिहर्तव्य: प्रत्यक्षो द्विपद: पशु:
भिनत्ति वाक्यशल्येन अदृष्ट: कण्टको यथा।
इस नीति में कहा गया है कि मूर्ख लोगों से दूर रहना चाहिए अत: इनका समय रहते त्याग कर देना ही उचित है। क्योंकि वह प्रत्यक्ष रूप से दो पैरों वाला पशु है। वह वचन रूपी वाणों से मनुष्य को ऐसे बींधता है जैसे अदृश्य कांटा शरीर में घुसकर बींधता है। चाणक्य कहते हैं कि अपने आसपास योग्य और शिक्षित व्यक्तियों को रखना चाहिए जो आपको हमेशा सही सलाह देंगे और आपको सफलता दिलाने में सहायक भी होंगे। वहीं मूर्ख और अज्ञानी व्यक्ति कभी आपको सही मार्गदर्शन नहीं देगा। जिससे हानि उठानी पड़ सकती है।
रूपयौवनसम्पन्ना: विशालकुल सम्भवा:
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुका:।
चाणक्य नीति के इस श्लोक के अनुसार रूप और यौवन से संपन्न और ऊंचे कुल में जन्म लेने पर भी विद्याविहीन मनुष्य ऐसे ही सुशोभित नहीं होता है जैसे गंध रहित ढाक के फूल। तात्पर्य व्यक्ति कितना ही सुंदर और ऊंचे कुल में जन्म लेना वाला क्यों न हो लेकिन अगर वह शिक्षित नहीं है तब उसकी इन खूबियों का कोई महत्व नहीं रह जाता है। चाणक्य ने अशिक्षित व्यक्ति की तुलना ढाक के फूल से की है। जैसे ढाक का फूल देखने में सुंदर होने के बाद भी उसमें गंध नहीं होती है इसीलिए उसका कोई प्रयोग नहीं है। उसी तरह विद्या और ज्ञान के बिना व्यक्ति का कोई महत्व नहीं रह जाता।
चाणक्य नीति के अनुसार, गुरु वही माना जाता है जो स्वयं में ज्ञान का सागर समेटे हुए है। ऐसा गुरु, जिसकी कथनी और करनी में अंतर हो अर्थात जो अपने शिष्यों को तो शिक्षा देते हों लेकिन वही सीख उनके आचरण में न हो, ऐसे गुरु का त्याग कर देने में ही आपकी भलाई है। विद्या के अभाव में जी रहा व्यक्ति कभी अच्छा गुरु नहीं हो सकता।
हमारे बहुत से रिश्ते ऐसे होते हैं जिनके लिए हम अपना समय और धन खर्च करते हैं। लेकिन उन रिश्तों में हमें ऐसे लोगों के बारे में जरूर पता होना चाहिए, जो हमारे शुभचिंतक हैं। जो हमारे लिए हमेशा खड़े रहते हैं। ऐसे रिश्तों को हमेशा महत्व देना चाहिए। साथ ही ऐसे रिश्तों को नहीं ढोना चाहिए, जो केवल नाम के लिए हों और उनमें प्रेम की कोई जगह न हो।