Bhadrapada Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त, शनिवार को पड़ रही है। शनिवार पड़ने की वजह से इसे शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाएगा। भाद्रपद मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या तथा पिठोरी अमावस्या भी कहा जाता है। यह तिथि पितृ कृपा पाने के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन पितरों की पूजा, श्राद्ध और तर्पण करने का विधान है। वहीं, इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और पितरों का तर्पण करने से समस्त पितृ दोष शांत हो जाते हैं। हालांकि अमावस्या के दिन कुछ कार्यों को करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इन कार्यों से पितरों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं कौन से हैं ये कार्य…
इस दिन नए काम की शुरुआत न करें
भाद्रपद अमावस्या का दिन पितरों की पूजा और भगवान की भक्ति के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर श्रद्धापूर्वक तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि पर किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन नए कार्य की शुरुआत करने से बचें।
तामसिक भोजन का सेवन न करें
शास्त्रों में अमावस्या तिथि को पवित्र माना गया है। इसलिए इस दिन खाने-पीने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मान्यता है कि अमावस्या पर तामसिक भोजन जैसे मांस, मदिरा, लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित है। इसलिए अमावस्या तिथि पर सात्विक भोजन ही करें।
इन कार्यों को भी न करें
अमावस्या तिथि पर बाल और नाखुन काटना वर्जित माना जाता है। इसके साथ ही, इस दिन व्यक्ति को यात्रा करने से भी बचना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यात्रा करने से वह सफल नहीं होती है।
यह भी पढ़ें:
धर्म संबंधित अन्य खबरों के लिए क्लिक करें
डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।