Basant Panchami 2018: हिंदू पंचाग के अनुसार हर वर्ष माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विद्या और बुद्धि की देवी माता सरस्वती की आराधना का दिन होता है। इसी उपासना के दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन संगीत कला और आध्यात्म का आशीर्वाद भी लिया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि यदि किसी की कुंडली में विद्या बुद्धि का योग नहीं है या शिक्षा में बाधा आ रही है तो इस दिन मां शारदा की आराधना अवश्य करनी चाहिए। सबसे पहले गणेश जी की पूजा के बाद माता सरस्वती का पूजन किया जाता है और बाद में रति और कामदेव की पूजा करना लाभदायक माना जाता है।

बसंत पंचमी ज्ञान की देवी मां सरस्वती के आराधना का दिन होता है। हिंदू परंपरा में ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन छोटे बच्चों को शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है। इसी के साथ बसंत पंचमी के दिन छह माह तक के बच्चे को पहली बार अन्न भी खिलाया जाता है। शास्त्रों में इस दिन को अन्नप्राशन के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि सरस्वती पूजन के साथ इस दिन कुछ उपाय करने से बच्चे की बुद्धि कुशाग्र होती है। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहन कर पूजा करने का विशेष महत्व होता है। माता सरस्वती के साथ नवग्रह का भी पूजन किया जाता है।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन दूध पीते बच्चों को नए कपड़े पहना कर उसे चौंकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उसपर बैठाना चाहिए और उसके बाद चांदी के चम्मच से अन्न खिलाना चाहिए। इस दिन शास्त्रों के अनुसार मांगलिक कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। इस दिन विवाह करने के लिए मान्यता है कि भगवान स्वयं धरती पर आकर वर-वधु को आशीर्वाद देते हैं। कई लोग बंसत पंचमी के दिन नींव पूजन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना और नवीन व्यापार शुरु करते हैं। माना जाता है कि इस दिन मांगलिक कार्य करने से भगवान की कृपा बनी रहती है।

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