Ashadha Pradosh Vrat 2023 Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि जो भक्त पूरे दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा- अर्चना करता है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आपको बता दें कि आषाढ़ का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। यह व्रत गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए यह गुरु प्रदोष व्रत है। आपको बता दें कि इस दिन भोलेनाथ के साथ- साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी योग है। साथ ही इस दिन सुकर्मा योग बन रहा है। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं पूजा- विधि और शुभ मुहूर्त…
आषाढ़ प्रदोष व्रत तिथि (Ashadha Pradosh Vrat Tithi)
वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जून गुरुवार को सुबह 08 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का अंत 16 जून शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। वहीं प्रदोष व्रत की पूजा शाम को की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत 15 जून को रखा जाएगा।
प्रदोष व्रत 2023 शिव पूजा मुहूर्त
प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त शाम को 07 बजकर 21 मिनट से रात 09 बजकर 20 मिनट के बीच है। इसलिए इस समय के बीच पूजा- अर्चना की जा सकती है। जिन लोगों को सुबह में शिव पूजा करनी है, वे लोग सुबह 05 बजकर 22 मिनट से सुबह 10 बजकर 37 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं।
बन रहा सुकर्मा योग
पंचांग के मुताबिक आषाढ़ के पहले प्रदोष व्रत के दिन सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। यह योग 15 जून की सुबह से लेकर देर रात 02 बजकर 02 मिनट तक है। यह पूजा पाठ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। साथ ही इस योग में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है।
गुरु प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
गुरु प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही गुरु प्रदोष व्रत में भोलेनाथ की पूजा करने से साधक दुश्मन पर जीत हासिल करने का आशीर्वाद मिलता है। वहीं जिन लोगों की कुंडली में गुरु दोष हो भी इस व्रत को रख सकते हैं। महिलाएं प्रदोष व्रत अखंड सौभाग्य की कामना, परिवार की खुशहाली, सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रख सकती हैं। वहीं गुरु प्रदोष व्रत के दिन व्यक्ति को भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।
