Aja Ekadashi Vrat Katha In Hindi: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। साथ ही हर महीने 2 एकादशी पड़ती हैं। वहीं यहां हम बात करने जा रहे हैं अजा एकादशी के बारे में, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी ग्यारस को अजा एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन का व्रत करने वाले व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। इस साल यह व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा करने का विधान है। वहीं इस दिन व्रत कथा का पाठ भी जरूरी होता है। वर्ना व्रत अधूरा माना जाता है। वहीं एकादशी पर त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। आइए जानते हैं इस व्रत कथा के बारे में…
अजा एकादशी व्रत कथा 2025 (Aja Ekadashi Vrat Katha 2025)
एक राज्य में हरिश्चन्द्र नाम के राजा थे। अपने राज्य को राजा बहुत प्रसन्न रखता थे। राज्य में खुशहाली थी। समय बीतता गया। राजा की शादी हुई। उनका एक पुत्र हुआ। लेकिन दिन बदलने लगे। राजा के पिछले जन्मों के कर्म उनके आगे आने लगे। जिसके फल के रूप में राजा को दुख भोगना पड़ रहा था। राजा के राज्य पर दूसरे राज्य के राजा ने कब्जा कर लिया।
राजा दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए। अपनी दो वक्त की रोटी के लिए राजा ने एक चांडाल के पास काम करना शुरू किया। वह मृतकों के शवों को अग्नि देने के लिए लकड़ियां काटने का काम करता था। अपने जीवन से बहुत दुखी राजा को समझ आया कि वो जरूर अपने कर्मों के फल की वजह से ही इस दशा में हैं कि रोटी को भी मोहताज हो गए।
एक दिन राजा लकड़ियां काटने के लिए जंगल में गए। वहां लकड़ियां लेकर घूम रहा थे, अचानक देखा कि सामने से ऋषि गौतम आ रहे हैं। राजा ने उन्हें देखते ही हाथ जोड़े और बोले हे ऋषिवर प्रणाम, आप तो जानते ही हैं कि मैं इस समय जीवन के कितने बुरे दिन व्यतीत कर रहा हूं। आपसे विनती है कि हे संत भगवान मुझ पर अपनी कृपा बरसाएं। मुझ पर दया कर बतलाइये कि मैं ऐसा क्या करूं जो नरक जैसे इस जीवन को पार लगाने में सक्षम हो पाऊं।
ऋषि गौतम ने कहा हे राजन तुम परेशान न हो। यह सब तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों की वजह से ही तुम्हें झेलना पड़ रहा है। कुछ समय बाद भाद्रपद माह आएगा। उस महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी का तुम व्रत करो। उसके प्रभाव से तुम्हारा उद्धार होगा। तुम्हारे जीवन में सुख लौट आएगा।
राजा ने ऋषि के कहे अनुसार उसी प्रकार व्रत किया। व्रत के प्रभाव से राजा को अपना राज्य वापस मिला। वह अपने बेटे और पत्नी के साथ वहां राज्य करते रहे। मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के चरणों का दास बनकर वह बैकुंठ धाम में वास करने लगे। अजा एकादशी की व्रत कथा अनेकों पापों को हर लेने वाली है। जो भी व्यक्ति अजा एकादशी की कथा पढ़ता या सुनता है उस पर भगवान विष्णु हमेशा अपनी कृपा बनाएं रखते हैं।