महाभारत काल के महान बुद्धिजीवि महात्मा विदुर एक महान विचारक थे, उनकी बुद्धि से हर कोई प्रभावित था। महात्मा विदुर भी धृतराष्ट्र और पांडु की तरह ही महर्षि वेदव्यास के पुत्र थे, हालांकि दासी पुत्र होने के कारण उन्हें राज गद्दी नहीं मिल पाई थी। महात्मा विदुर हस्तिनापुर के महामंत्री थी। उनकी दूरदर्शिता और रणनीतियों के कारण महाराज धृतराष्ट्र लगभग हर विषय पर विदुर जी की राय लेते थे। महाभारत युद्ध से पहले महात्मा विदुर और धृतराष्ट्र के बीच हुई बातों को ‘विदुर नीति’ के नाम से जाना जाता है।
विदुर जी ने अपने नीति शास्त्र में ऐसी तीन चीजों का जिक्र किया है, जो मनुष्य के लिए किसी नर्क से कम नहीं हैं। ऐसी चीजें मनुष्य के जीवन और उनकी आत्मा का नाश कर देती हैं। जानिये कौन-सी हैं वह तीन चीजें-
लोभ: महात्मा विदुर के अनुसार व्यक्ति को कभी भी लोभ नहीं करना चाहिए। एक बार लोभ और लालच की भावना किसी के मन में आ गई तो ऐसा व्यक्ति गलत कार्यों की तरफ उन्मुख हो जाता है। लोभी व्यक्ति अपना स्वार्थ साधने के लिए किसी को भी नुकसान पहुंचाने से पीछे नहीं हटता। ऐसे लोगों की आत्मा मैली हो जाती है और इनका जीवन भी बर्बाद हो जाता है।
काम-वासना: महात्मा विदुर के अनुसार जिस मनुष्य की काम-वासना प्रबल होती है, उसकी आत्मा का सर्वनाश हो जाता है। वह खुद पर नियंत्रण खो बैठता है। उसका नींद और चैन सब छिन जाता है। ऐसे लोग अपनी काम-वासना के कारण कुछ भी गलत कर बैठते हैं, इसलिए मनुष्य को अपनी काम भावना पर नियंत्रण करना आना चाहिए।
क्रोध: महान बुद्धिजीवियों में से एक महात्मा विदुर ने क्रोध को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताया है। विदुर जी मानते हैं कि क्रोध के कारण मनुष्य अच्छे और बुरे की समझ को खो बैठता है, जिसके कारण कई बार वह खुद का ही नुकसान कर बैठता है। इसलिए हमेशा क्रोध से दूर रहना चाहिए और कभी भी खुद पर क्रोध को हावी नहीं होने देना चाहिए।