UP Lift Act: पिछले कुछ माह में नोएडा और लखनऊ समेत शहर में लिफ्ट की वजह से कई घटनाएं हुई है। लिफ्ट में खराबी को लेकर कई ऐसे हादसे देखने को मिले हैं, जिसमें कई लोगों को गंभीर चोटें लगी हैं या जान से हाथ भी धोना पड़ा है। योगी सरकार ने करोड़ों लोगों के जीवन से जुड़े एक जरूरी कानून को विधासभा से पास करा दिया है। अब कुछ ही दिन में यह कानून प्रदेशभर में लागू हो जाएगा।

योगी सरकार नया लिफ्ट एक्ट और एस्केलेटर बिल लेकर आई है। इस कानून में लोगों की सुरक्षा को लेकर कई नियम बनाए गए हैं। इसके कानून बनने के बाद खास तौर पर गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जेवर एयरपोर्ट के आस-पास रह रहे लोगों को ज्यादा फायदा मिलेगा। इन सभी को लिफ्ट में चढ़ने पर जीवन की सुरक्षा की गारंटी मिलेगी। अगर लोगों के साथ किसी भी तरह की घटना घटित होती है तो परिवार मुआवजे का हकदार होगा।

देखने को मिले कई हादसे

योगी आदित्यनाथ सरकार का यह कदम राज्य में कई लिफ्ट हादसों के बाद आया है। खासकर दिल्ली के पास नोएडा की ऊंची इमारतों में आए दिन कई ऐसी घटनाएं हुईं। बीते साल सितंबर माह में नोएडा एक्सटेंशन की आम्रपाली ड्रीम वैली में एक लिफ्ट गिर गई थी। इस घटना में 9 लोगों की जान चली गई थी। वहीं, दूसरा हादसा दिसंबर महीने में हुआ था। काम के बाद अपने घर लौट रहे नौ आईटी प्रोफेशनल लिफ्ट गिरने से घायल हो गए थे। इन घटनाओं के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने संबंधित अधिकारियों को लिफ्ट की सुरक्षा और उनके रखरखाव को बनाए रखने का निर्देश दिया था।

इस बिल में क्या कुछ है खास

नए लिफ्ट एवं एस्केलेटर के कानून बनने के बाद नई लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा। पहले से लगी लिफ्ट और एस्केलेटर पर भी यह कानून लागू होगा। लोगों की सुरक्षा के लिए ऑटो रेस्क्यू डिवाइस का लगाया जाना भी जरूरी है क्योंकि बिजली आपूर्ति में या अन्य तरह की किसी खराबी आने के बाद लिफ्ट में फंसे यात्री निकटतम लैंडिंग तक पहुंचे और लिफ्ट का दरवाजा अपने आप ओपन हो जाए। इसमें इमरजेंसी बेल, लाइटिंग और सीसीटीवी कैमरे और टेलीफोन लगाना भी अनिवार्य है।

लिफ्ट में ऑपरेटर का मोबाइल नंबर और इमरजेंसी कॉल नंबर बड़े-बड़े और साफ शब्दों में लिखना जरूरी है। लिफ्ट को ऑपरेट करने वाले व्यक्ति को भी रखना जरूरी है। अगर लिफ्ट के मालिकों ने लिफ्ट की मरम्मत साल में दो बार नहीं कराई तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। किसी भी तरह का हादसा होने पर मालिक को ही मुआवजा देना होगा। मुआवजा देने में मालिक किसी भी तरह की आनाकानी करता है तो सरकार उससे यह वसूली करेगी। लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम लागू होने के 6 महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है।

लिफ्ट में किसी भी तरह की घटना होने पर इसकी जानकारी नजदीकी पुलिस थाने को देनी होगी। साथ ही, इसकी मजिस्ट्रेट के द्वारा जांच की जाएगी। लिफ्ट लगाने में किसी भी तरह की गड़बड़ी की शिकायत पर मजिस्ट्रेट नोटिस जारी करेंगे। इन लिफ्ट को दिव्यांग लोगों के मुताबिक भी बनाना होगा।