वक्त कभी भी किसी का एक जैसा नहीं रहता। जी हां, यही शाश्वत सत्य है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवर की तपिश न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश में महसूस की जा रही थी। पर, बीते लोकसभा चुनाव में सहारनपुर मंडल की तीनों सीट सहारनपुर, कैराना और मुजफ्फरनगर में हुई करारी हार ने सबकुछ बदल कर रख दिया है। दिलचस्प ये कि संगठन में कलह भी सतह पर है, जिसके कोलाहल में योगी सियासी गरमी भी थोड़ी नरम दिखी। गुरुवार को जनपद आए मुख्यमंत्री के चाल, ढाल और हाल ने कुछ ऐसा संकेत दिया। इसकी चर्चा भी खूब है।

दरअसल, मंडल की तीन लोकसभा सीट हारने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिरा हुआ है। फलस्वरूप आपसी कलह भी सतह पर है। ऐसे में मुख्यमंत्री के कंधों पर 10 सीटों के विधानसभा उपचुनाव को जीतने की जिम्मेदारी है। गुरुवार को जब वह सहारनपुर आए तो वे बिलकुल बदले हुए दिखे। रणनीतिकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही मुख्यमंत्री के तेवर थोड़े नरम हो गए हैं। वे अब सबके प्रति ‘सॉफ्ट कार्नर’ रखना चाहते हैं ताकि कोई सवाल न उठे। 

इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने इस दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं के असंतोष और नाराजगी को बहुत प्यार से दूर करने का प्रयास किया। उन्हें अनुशासित होकर विपक्ष का जवाब देने का मंत्र दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि हमें हौसले कायम रखने हैं। विपक्ष के कारनामों की पोल खोलने की जरूरत है।

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मीडिया से बनाई दूरी

खास बात यह रही है कि कथित तीखे सवालों से बचने के लिए मुख्यमंत्री ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। शायद उन्होंने कार्यकर्ताओं को भी यह संदेश दिया कि मीडिया को अंदर की बात नहीं बतानी है।सहारनपुर में योगी आदित्यनाथ ने एक रणनीति के तहत चार अलग-अलग स्थानों पर भाजपा के चार वर्गों के नेताओं से मुलाकात की। एक और बात देखी गई कि सहारनपुर दौरे में रालोद के नेताओं को कम तवज्जो मिली। यह अलग बात है कि मीरापुर में रालोद कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

मीरापुर में मुख्यमंत्री ने अपने 35 मिनट के संबोधन में सात बार से ज्यादा सांसद चंदन चौहान का नाम लिया। उनके द्वारा प्रस्तावित सड़कों के निर्माण एवं मोरना चीनी मिल के विस्तारीकरण की घोषणा की। उन्हीं के क्षेत्र में पड़ने वाले शुकतीर्थ के बारे में मुख्यमंत्री ने शुकतीर्थ के विकास के बारे में सैकड़ों करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी।