उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए शनिवार (26 मार्च, 2022) को ऐलान किया कि मुफ्त राशन योजना (कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू की गई) को तीन महीने और बढ़ाएगी।
राशन देने वाली यह योजना (केंद्र सरकार के प्रावधानों के ऊपर और आगे जाकर) हाल के चुनावों में भाजपा सरकार की सबसे आकर्षक उपलब्धियों में से एक थी। लगभग 15 करोड़ लाभार्थियों में, यह योजना राज्य की 60% से अधिक आबादी को कवर करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने भाषणों में लोगों को “मोदी का नमक” की याद दिलाते हुए इस योजना का जिक्र किया करते थे। हालांकि, विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए मतदाताओं को चेतावनी दे कहा था कि होली तक विस्तारित यह योजना चुनाव के तुरंत बाद समाप्त हो जाएगी, जबकि शनिवार को योगी 2.0 के पहले फैसले ने उस आशंका को सिरे से खारिज कर दिया।
योजना के विस्तार का ऐलान करते हुए और इसे भाजपा की “डबल-इंजन सरकार (राज्य और केंद्र में) का एक उदाहरण बताते हुए सीएम ने कहा, “यूपी में नवगठित सरकार का पहला निर्णय 15 करोड़ गरीब लोगों को समर्पित है। यह योजना मार्च 2022 में समाप्त होनी थी, इस प्रकार नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक ने इसके लाभों को तीन महीने के लिए 22 जून तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।” वैसे, इस योजना को तीन माह आगे बढ़ाने की वजह से राज्य के खजाने पर करीब 3,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा।
राज्य में 3.16 करोड़ राशन कार्डधारक दो योजनाओं के तहत कवर किए जाते हैं। इनमें पीएमजीकेएवाई (प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) और एनएफएसए (नेशनल फूड सिक्योरिटी ऐक्ट) हैं। एनएफएसए के तहत सब्सिडी वाला राशन दिया जाना जहां एक सतत प्रक्रिया है। वहीं, पीएमजीकेएवाई को अप्रैल 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान लॉन्च किया गया था और इसके तहत कार्डधारकों को पांच किलो गेहूं और चावल और एक किलो चना पाने का अधिकार है। शनिवार को केंद्र ने पीएमजीकेएवाई को छह महीने और बढ़ाने की घोषणा की। एनएफएसए के तहत कार्डधारकों को प्रति कार्ड हर महीने 35 किलो अनाज ( 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल) मिलता है। चूंकि, दोनों के लाभार्थी लगभग समान हैं, इसका प्रभावी रूप से मतलब है कि लोगों को महीने में दो बार राशन मिलता है।
वैसे, दिसंबर 2021 में चुनावों से ऐन पहले, यूपी ने लाभों को आगे बढ़ा दिया था। तीन रुपए प्रति किलो गेहूं और चावल के लिए दो रुपए प्रति किलो की रियायती दर पर राशन (सामान्य तौर पर) दिया जाता था, पर योगी सरकार ने एनएफएसए के तहत पूरे सब्सिडी वाले राशन को मुक्त कर दिया। साथ ही प्रति परिवार एक लीटर रिफाइंड तेल और एक किलो नमक देने की भी घोषणा की थी।