उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक महिला मरीज को चारपाई पर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) ले जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह चारपाई रिक्शे पर बांधी गई थी। आरोप है कि महिला के रिश्तेदारों ने 108 एंबुलेंस सर्विस पर कॉल की थी, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। हालांकि, जिला प्रशासन ने शनिवार (22 जून) को इन आरोपों को खारिज कर दिया।

शामली के डीएम अखिलेश सिंह ने बताया, ‘‘मुझे इस मामले की जानकारी कुछ समाचार पत्रों के माध्यम से मिली, जिसमें बताया गया था कि महिला के रिश्तेदारों ने एंबुलेंस सर्विस पर कॉल की थी, लेकिन गाड़ी नहीं आई। कथित तौर पर यह आरोप भी लगाया गया कि महिला को प्रॉपर इलाज भी नहीं मिला। मैंने शामली के एसडीएम से मामले की जांच करने के लिए कहा। उन्होंने महिला मरीज के पति से बात की, जिन्होंने एंबुलेंस को कॉल करने से इनकार किया। महिला का पति ईंट-भट्ठे में काम करता है। उसने अपने एक दोस्त को गाड़ी लाने के लिए कहा था, जिससे महिला को अस्पताल ले जाया गया।’’
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डीएम ने बताया, ‘‘अस्पताल में महिला का इलाज किया गया है और बाद में उसे मेरठ रैफर कर दिया गया। हालांकि, उसका पति महिला को मेरठ नहीं ले गया। परिजनों ने अब तक की गई कार्रवाई पर संतुष्टि जाहिर की है। एंबुलेंस सर्विस को लेकर लगाए गए आरोप गलत हैं।’’ बता दें कि महिला की पहचान अंजू देवी (36) के रूप में हुई है। वह पैरालाइज्ड हैं और उनके स्पाइन में दिक्कत है। महिला के पति बॉबी (40) ने इस बात की जानकारी होने से इनकार किया कि उनके परिजनों ने 108 एंबुलेंस सर्विस को कॉल की थी या नहीं।

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महिला के पति बॉबी ने बताया, ‘‘शुक्रवार (21 जून) को मेरी पत्नी की रीढ़ की हड्डी में दर्द हो रहा था। मैंने अपने एक रिश्तेदार राहुल कुमार को इस बारे में जानकारी दी थी। मुझे नहीं पता कि उसने एंबुलेंस सर्विस को कॉल की या नहीं। कुछ रास्ता नहीं दिखा तो मैंने अपनी पत्नी को चारपाई पर ही सीएचसी ले जाने का फैसला किया। जब हम वहां पहुंचे तो एक विभाग से दूसरे विभाग के चक्कर लगवाए गए। कुछ पत्रकारों के हस्तक्षेप करने के बाद डॉक्टरों ने मेरी पत्नी को एडमिट किया। बाद में वह उसे मेरठ ले जाने के लिए कहने लगे।’’ बता दें कि जिला प्रशासन ने आरोपों की जांच के लिए फिलहाल राहुल से संपर्क नहीं किया है।

शामली के एसडीएम आनंद कुमार शुक्ला ने भी दावा किया कि एंबुलेंस सर्विस को लेकर लगाए गए आरोप गलत हैं। वहीं, शामली सदर के एसडीएम सुरजीत सिंह ने इस मामले की जांच की। उन्होंने बताया कि जब महिला सीएचसी पहुंची तो वहां एक डॉक्टर था, जो इमरजेंसी वॉर्ड में व्यस्त था। वहीं, महिला को घर लौटते वक्त एंबुलेंस नहीं देने पर सवाल पूछा गया तो जवाब मिला कि मरीज को दूसरे अस्पताल जाते वक्त ही एंबुलेंस दी जाती है।